Monday, December 10, 2018

Utpadan Pranali - Deendayal Upadyaya






इसका अर्थ है कि कमाने वाला परिवार में बच्चे, बूढ़े, रोगी, अपाहिज, अतिथि आदि सब के भरण-पोषण की चिंता करेगा और देश में अभावग्रस्त, निर्धन-निर्बल व्यक्ति के निर्वाह का भी समाज का दायित्त्व होगा, इसी में से आगे चलकर ‘अन्त्योदय’ के लिए आर्थिक नीति बनाने की दिशा सामने आयी| और अधिक विचार करने पर यह भी ध्यान आया कि यदि कमाने वाला खिलायेगा और जन्मा सो खायेगा, इतना ही कहकर छोड़ दिया तो इससे मुफ्तखोरी और काम न करने की प्रवृति पनपने का खतरा हो सकता है, अत: इस नारे के साथ ‘खाने वाला कमाएगा’ भी जोड़ा गया| इस समूचे विचार को ध्यान में रखकर ही हमें भारत की अर्थरचना करनी होगी| इसी में से रोजगार-परक उत्पादन प्रणाली का ढांचा खड़ा होगा| दीनदयाल जी का कहना था कि हमें आर्थिक प्रश्नों पर विचार करते समय नैतिकता एवं आर्थिकेतर कारकों का भी विचार करना चाहिए|

Source
दीनदयाल जी का एकात्म अर्थचिन्तन

-    डॉ. बजरंगलाल गुप्ता




Refer also
https://books.google.co.in/books?id=qYhtCwAAQBAJ&pg=PA61#v=onepage&q&f=false


Pt. Deendayal Upadhyaya Vichar Darshan - Part - 4: ekaatm arthaneeti
By Sharad Anant Kulkarnee

This is book has interesting information on economic theories by various top economists.

https://books.google.co.in/books?id=vW41DwAAQBAJ&pg=PA103#v=onepage&q&f=false





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