Saturday, November 14, 2015

PM Narendra Modi in UK 2015 - Address to British Parliament - Wembley Stadium Address


Importants Point made by PM on India's Development

विश्‍व आज भारत को एक शक्ति के रूप में पहचान रहा है, विश्‍व आज भारत को एक संभावनाओं की भूमि के रूप में देख रहा है और हमारी भी कोशिश है कि भारत का स्‍थान अब दुनिया में ओरों के साथ बराबरी का होना चाहिए और हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं चाहते, अगर हम चाहते हैं तो बराबरी चाहते हैं बराबरी। और मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है वो बराबरी से बात करता है। जुड़ना चाहता है तो win-win के फार्मूला के साथ जुड़ना चाहता है। आगे बढ़ना चाहता है तो कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ना चाहता है। और ये आने वाले उत्‍तम भविष्‍य के शुभ संकेत के रूप में मैं देखता हूं।


आज दुनिया में कोई भी Institution होगी। चाहे World Bank हो, IMF हो, दुनिया की कोई भी Rating agency हो। हर कोई एक स्‍वर से कहता है कि भारत विश्‍व के बड़े देशों की, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy है। बहुत तेज गति से बढ़ने वाली Economy है।

मेरा कहने का तात्‍पर्य है हमें आधुनिक भारत बनाना है। Clean India हो, Skill India हो, Digital India हो, इन सब एक क्षेत्रों में हम कार्यों को नई ऊचांइयों पर ले जाने की दिशा में एक भरपूर प्रयास कर रहे हैं।

भाईयों-बहनों ऐसे कोटि-कोटि जनों की तपस्‍या, ऐसे कोटि-कोटि जनों का सामर्थ्‍य य‍हीं तो हैं जिसके भरोसे मैं कहता हूं हिन्‍दुस्‍तान बहुत आगे बढ़ने वाला है। हिन्‍दुस्‍तान दुनिया में विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला है।

 उस हमारी भारत मां के लिए, हम भी कोई संकल्‍प करें, हम भी भारत मां के जीवन के साथ जुड़ने का प्रयास करें, अपनी शक्ति, समय कभी न कभी मां भारती के लिए लगाने के लिए कभी न कभी सोचे। देश आपका इंतजार कर रहा है दोस्‍तों, देश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

भारत आपको विश्‍वास दिलाता है कि आपके पास जो सामर्थ्‍य है उसमें खाद डालने का काम करने की ताकत भारत के गरीब से गरीब व्‍यक्ति में भी है। जो आपके सपनों को वटवृक्ष बना सकता है। आपके सपनों को पूरा करने के लिए उर्वरा धरती दे सकता है और उसके लिए मैं विश्‍वभर में फैले मेरे भारतीय भाईयो-बहनों को आग्रह से कहता हूं कि आइएं। देश आगे बढ़ रहा है, हम भी साथ-साथ चल पड़े, हम भी आगे बढ़े।




PM Narendra Modi's Wembley Stadium Address 13 November 2015

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Text of PM’s address at Community Reception at Wembley Stadium, London


नमस्‍ते, साल मुबारक, भाई दूज की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,

Good evening Wembley a big thank you. Big thank you for being here. This is a historic day for a great partnership and you are the heartbeat between two great nations’, two vibrant democracies, two wonderful people, we are celebrating this very special relationship in this very special venue with friends of India specially Excellency Prime Minister Cameron. I was told that London would be cold but not this much. Your wonderful and warm welcome make me feel at home. I am grateful to Prime Minister Cameron for his kind words and thanks every body

मै करीब 12 साल के बाद आज आपके बीच आया हूं। 12 साल में wells में बहुत पानी बह चुका है। तब मैं जब आया था तो मुख्‍यमंत्री के रूप में आपसे मिला था और आज जब आपके बीच में आया हूं तो देशवासियों ने मुझे एक नई जिम्‍मेवारी दी है और उस नई जिम्‍मेवारी को पूरा करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहा हूं और मेरे प्‍यारे देशवासियों में आपको विश्‍वास दिलाता हूं जो सपने आपने देखे हैं, जो सपने हर हिन्‍दुस्‍तानी ने देखे हैं, वे सपने पूरे करने का सामर्थ्‍य भारत में है, ये मैं भलीभांति अनुभव कर रहा हूं।

पिछले 18 महीने के अनुभव से मैं कह सकता हूं कि भारत को गरीब रहने का कोई कारण नहीं है। हमें बिना कारण गरीबी को पाल करके रखा है। और पता नहीं क्‍यों, आदतन हमें गरीबी को पुचकारने में जरा मजा आने लग गया है। भारत सामर्थ्‍यवान है, सवा सौ करोड़ देशवासी, 250 करोड़ भुजाएं, और वो देश जिसमें eight hundred million, 65 प्रतिशत जनसंख्‍या, 35 साल से कम उम्र की हो, भारत जवानी से लबालब भरा हुआ देश है और जिस देश के पास इतने युवा हों, वो देश अब पीछे नहीं रह सकता और वो देश विकास की इस यात्रा में अब रुक नहीं सकता है।

मैं दो दिन से यहां हूं, UK की सरकार ने, प्रधानमंत्री कैमरन ने जिस गर्मजोशी से स्‍वागत किया, सम्‍मान किया, उनके लिए मैं हृदय से उनका बहुत-बहुत आभारी हूं। लेकिन ये सम्‍मान किसी एक व्‍यक्ति का नहीं है, ये सम्‍मान सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानियों का है। भारत की महान लोकतांत्रिक परंपराओं का है। प्रधानमंत्री कैमरन के साथ इसके पूर्व भी मुझे अनेक बार मिलने का, बातचीत करने का अवसर मिला है और मैंने अनुभव किया है, उनसे जब भी मिलना हुआ, वो ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए इतनी तारीफ करते हैं, इतनी तारीफ करते हैं, इतना गौरवगान करते हैं, ऐसा लगता है जैसे वो यहां के भारतीय समुदाय के साथ पूरी तरह घुल-मिल गए हैं। भारतीय समुदाय के प्रति उनकी संवेदना साफ-साफ नजर आती है। मैं उनके भारतीयों के प्रति जो प्रेम है इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूं, उनका धन्‍यवाद करता हूं और आप लोगों का उनके साथ जो नाता है और आपके माध्‍यम से उन्‍होंने भारत को जिस रूप से जाना है और उसके कारण भारत के प्रति भी उनके मन में वो ही आदर, वो ही लगाव हर बात में महसूस होता है। और कौन भारतीय होगा, जिसको इस बात का गर्व न हो कि आज ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने महात्‍मा गांधी खड़े हों, इससे बड़ा गर्व क्‍या होगा? ये लंदन की धरती, आजादी का जंग इस धरती पर भी भारतीय लोगों ने आ करके आजादी के जंग की लड़ाई को ताकत दी थी। उसमें एक थे श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा। 1930 में उनका स्‍वर्गवास हो गया। विद्वान थे, बैरिस्‍टर थे और यहां रह करके वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे, भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ते थे और उसके लिए यहां के Bar association ने उनको निकाल दिया था। वकालत करने की उनकी सनक को रद्द कर दिया गया था। आज मैं प्रधानमंत्री कैमरन का आभारी हूं कि करीब-करीब सौ साल के बाद उन्‍होंने घड़ी की सुई का उल्‍टा कर दिया। और कल मुझे श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा को, जो अब तो रहे नहीं लेकिन उनके सम्‍मान में, उनको फिर से बार की membership को continue करने वाला कागज मुझे सौंपा।

जब मैं गुजरात में था, 2003 में मैं यहां आया था। मैं यहां से जिनेवा पंडित श्‍यामजी वर्मा की अस्थि लेने के लिए जाने वाला था, श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा लंदन की धरती पर रह करके आजादी का जंग लड़ रहे थे। वीर सावरकर जैसे अनेक महापुरुषों को, मदनलाल ढींगरा जैसे तेजस्‍वी, ओजस्‍वी नौजवानों को वे यहां प्रोत्‍साहित करते थे। 1930 में उनका स्‍वर्गवास हुआ तो उनकी इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी कि उनके स्‍वर्गवास के बाद उनकी अस्थि हिन्‍दुस्‍तान आजाद जब हो, तो आजाद हिन्‍दुस्‍तान में ले जाई जाएं। लेकिन 1930 से 2003 तक भारत से कोई आया नहीं वो अस्थि लेने के लिए। भारत मां के उस लाल की अस्थि ले जाने का सद्भाग्‍य मुझे मिला और 2003 में मैं ले गया। और गुजरात में कच्‍छ मांडवी, जो उनका जन्‍म स्‍थान था वहां एक भव्‍य स्‍मारक बनाया है, उनके स्‍मृति चिह्न अस्थि वहां रखे हैं। आज मुझे यहां के bar का जो स्‍वीकृति पत्र फिर से मिला है, वो भी मैं गुजरात सरकार को सुपुर्द करूंगा और वो भी उस Museum में रखा जाएगा। और इसलिए मैं कहता हूं कि प्रधानमंत्री कैमरन ने घड़ी की सुई को उल्‍टा घुमाया है। मैं उनका आभारी हूं।

भारत जिस विकास यात्रा की ओर आगे बढ़ रहा है, हमारा देश दुनिया के लिए एक अजूबा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्‍व के जिन-जिन लोगों से मेरा मिलना हुआ है, एक बात अवश्‍य पूछते हैं, क्‍योंकि हर देश किसी न किसी समस्‍या से जूझ रहा है और इसलिए वे कभी-कभी मुझे पूछते हैं कि मोदी जी हमारा इतना छोटा देश, ये परेशानी, वो परेशानी; ये तकलीफ वो तकलीफ; ये समुदाय ऐसा करता है, वो समुदाय ऐसा करता है, वो लोग ऐसा करते हैं, अक्‍सर बातें करते हैं, फिर मुझे पूछते हैं कि मोदी जी ये बताइए ये आपका सवा सौ करोड़ का देश इतने प्‍यार से, इतने मिलजुल करके कैसे रहता है? लोगों को आश्‍चर्य है ऐसा देश जहां सौ भाषाएं हों, 1500 बोलियां हों, हजारों प्रकार के खानपान की पद्धतियां हों। दक्षिण से निकलें, उत्‍तर पहुंचते-पहुंचते सैंकड़ों प्रकार की वेशभूषा नजर आती हो, कितनी विविधताओं से भरा हुआ हमारा देश है और विविधता, ये हमारी विशेषता भी है; विविधता, ये हमारी आन, बान, शान भी है; विविधता, ये हमारी शक्ति भी है।

अब आप देखिए पंजाब के हमारे सिख भाई, कितनी त्‍याग और बलिदान की गाथाएं जुड़ी हुई हैं। भारत की आन, बान, शान के लिए कितने सिखों ने अपने सिर न्‍यौच्‍छावर कर दिए थे और सिख समाज की एक विशेषता रही है कि वे मां भारती की भी रक्षा करते रहे। मां भारती की रक्षा के लिए अपना खून बहाते रहे और आजाद हिंदुस्‍तान में भारत माता की संतानों का पेट भरने के लिए वे खेतों में अपना पसीना बहाते रहे और हिंदुस्‍तान भर का पेट भरने के लिए उन्‍होंने कभी कमी नहीं रखी।

मैं जब कल यहां आया, यहां के सिख समाज के सभी वरिष्‍ठ लोग मुझे मिलने आए थे। बहुत प्‍यार से बातें हुईं। हम दोनों ने मिल करके अपने दुखों को, अपने दर्दों को बांटा। उनके दिल पर जो गुजरती हैं बातें, उनकी भावनाओं का मैं आदर करता हूं, उनकी कठिनाई को मैं समझता हूं। और मैंने विश्‍वास दिलाया है कि जिन-जिन बातों को आप कर रहे हैं, मैं पूरी तरह उन चीजों में लगा हुआ हूं। आने वाले भविष्‍य में आपको उसके नतीजे भी नजर आ जाएंगे।

भारत की धरती पर कबीर और रहीम की बातें हम सबको प्रेरणा देती रही हैं। सूफी परंपरा, आज विश्‍व में जो आतंकवाद के नाम पर जो चीजें चल रही हैं, कभी मुझे लगता है अगर सूफी परंपरा बलवान हुई होती, इस्‍लाम में ही इस सूफी परंपरा का अगर प्रभाव पड़ा होता और जिसने सूफी परंपरा को समझा होता, वो कभी हाथ में बंदूक लेने का विचार नहीं करता। ऐसी विविधताओं से भरी दुनिया के सभी प्रमुख सम्‍प्रदाय हिंदुस्‍तान की धरती पर हैं। और सिर्फ कहने को नहीं, भारी मात्रा में समुदाय हैं। हमारे यहां ऋतुएं कितनी हैं, हमारे यहां विविधताएं कितनी हैं, हमारे यहां पेड-पौधे देखें, ये देश विविधताओं से, परमात्‍मा की कृपा से पुलकित हुआ है और आप उस देश के एक प्रकार से सच्‍चे Ambassador हैं। भारतीय समुदाय का व्‍यक्ति जहां गया, वहां सबके साथ रहने का, जीने के संस्‍कार ले करके गया। विविधताओं के बीच में भी सबके साथ कैसे जीया जाता है, अपनी पंरपराओं को बचाते हुए सबके साथ कैसे घुल-मिल करके जिंदगी जी सकते हैं, अगल-बगल में किसी को खंरोच भी न आ जाए उसके बाद भी गति तेज कर सकते हैं, लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर सकते हैं, ऊंचाईयां और बढ़ा सकते हैं, ये आपने दिखाया है। विश्‍व भर में फैले हुए भारतीय समाज ने ये संस्‍कार का परिचय करवाया है, ये शक्ति का परिचय करवाया है और उन्‍हीं के माध्‍यम से हिंदुस्‍तान की सही पहचान भी बनती है। और इसलिए विश्‍व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को भी इस महान परंपरा को आपके अपने व्‍यवहार से, अपने चरित्र से, अपने आचरण से दुनिया को अपने भारत की ताकत का परिचय करवाया है इसलिए आप सब मेरे भाई-बहन ह्दय के, ह्दय से अभिनंदन के अधिकारी हैं, बहुत-बहुत बधाई के अधिकारी हैं।

भाइयों-बहनों, आज विश्‍व में भारत की अपनी एक गरिमा, एक गौरव, उसका अनुभव आप भी करते होंगे। पूरी दुनिया आज भारत के प्रति बहुत आशा की नजर से देख रही है। भारत का नाम सुनते ही India सुनते ही आपको जिन-जिन विदेश में लोगों को मिलते हो, आपको भी महसूस होता है कि नहीं होता है? आपको भी ध्‍यान में आता है कि दुनिया का नजरिया बदलता है? पहले लोग मिलते हैं वे अब मिलते हैं तो बड़ी गर्मजोशी से मिलते हैं? पहले हाथ मिलाते थे अब हाथ पकड़ के रखते हैं? ये बदलाव जो है, ये बदलाव ही भारत की सफलता की एक निशानी के रूप में है।

विश्‍व आज भारत को एक शक्ति के रूप में पहचान रहा है, विश्‍व आज भारत को एक संभावनाओं की भूमि के रूप में देख रहा है और हमारी भी कोशिश है कि भारत का स्‍थान अब दुनिया में ओरों के साथ बराबरी का होना चाहिए और हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं चाहते, अगर हम चाहते हैं तो बराबरी चाहते हैं बराबरी। और मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है वो बराबरी से बात करता है। जुड़ना चाहता है तो win-win के फार्मूला के साथ जुड़ना चाहता है। आगे बढ़ना चाहता है तो कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ना चाहता है। और ये आने वाले उत्‍तम भविष्‍य के शुभ संकेत के रूप में मैं देखता हूं।

विश्‍व जिन समस्‍याओं से जूझ रहा है उसमें दो प्रमुख समस्‍याएं हैं। सारी दुनिया के जितने भी नेता, जब भी मिलते हैं इन दो बातों से परेशानियों की चर्चा करते ही करते हैं, एक आतंकवाद, दूसरा ग्‍लोबल वार्मिग। आतंकवाद हो या ग्‍लोबल वार्मिंग हो, सारी मानव जाति को बचाने की जिम्‍मेवारी सभी देशों की है, मानवता में विश्‍वास करने वाले हर नागरिक की है और भारत इसके लिए सही रास्‍ता दिखा सकता है। महात्‍मा गांधी का जीवन, महात्‍मा गांधी के उपदेश, महात्‍मा गांधी का अहिंसा का शस्‍त्र, उसमें वो ताकत है, अगर आज के परिप्रेक्ष्‍य में विश्‍व गांधी को समझने का प्रयास करे तो आतंकवाद से मुक्ति का रास्‍ता भी मिल सकता है और ग्‍लोबल वार्मिंग से मुक्ति का भी रास्‍ता मिल सकता है क्‍योंकि गांधी इतने दीर्घ दृष्‍टा थे। और इसलिए भारत की वो भी जिम्‍मेवारी है कैसे संकट की घड़ी में मानवता के कल्‍याण के लिए विश्‍व को इन समस्‍याओं से बाहर निकलने के लिए भारत अपनी भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा, ये मैं आप मेरे देशवासियों को विश्‍वास दिलाता हूं।

देश आज विकास की नई ऊंचाईयों की ओर तेज गति से चल रहा है और मैं विश्‍वास से कहता हूं कि भारत ने जो गति पकड़ी है, भारत ने जो दिशा पकड़ी है; उस गति से, उस दिशा से बहुत ही जल्‍द हम उसके फल भी देखने शुरू करेंगे। आजादी के सत्‍तर साल के बाद आपको जान करके हैरानी होगी, आज भी हिंदुस्‍तान में 18 हजार गांव ऐसे हैं जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों, क्‍या ये काम मुझे पूरा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? उन 18 हजार गांवों में, जहां बिजली नहीं पहुंची है, वहां बिजली पहुंचनी चाहिए कि नहीं पहुंचनी चाहिए? आजादी के सत्‍तर साल के बाद भी अगर मेरा देशवासी अंधेरे में जिंदगी जीने के लिए मजबूर है तो हमें प्रायश्चित करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? भाइयों-बहनों, मैंने बीड़ा उठाया है, आप मुझे आशीर्वाद देंगे? मैंने बीड़ा उठाया है, राज्‍यों से कहा है मुझे मदद कीजिए, आने वाले एक हजार दिवस में इन 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का संकल्‍प करके चला हूं।

जब मुझे पहली बार लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्‍तान के तिरंगे झंडे के नीचे से देश को संबोधित करने का पहला अवसर मिला; बचपन में जिंदगी में कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक चाय बेचने वाला, गरीब परिवार का बेटा, लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्‍तान का तिरंगा झंडा फहराता होगा। और उस दिन मैंने कहा था, स्‍वच्‍छ भारत का सपना मैंने देशवासियों के सामने रखा था। बहुतों को आश्‍चर्य हुआ था कि लाल किले पर से तो कितनी बड़ी-बड़ी बातें करनी चाहिए, कितनी बड़ी-बड़ी योजनाएं रखनी चाहिए, अखबारों में headline छप जाएं ऐसी चीजें बतानी चाहिए और ये मोदी कहां से आ गया, ये सफाई की बातें करने के लिए लाल किले का उपयोग कर रहा है। बहुतों को बुरा लगा था, लेकिन मुझे, मुझे अच्‍छा लगा था मेरा देश अगर साफ-सुथरा हो, गंदगी से मुक्‍त मेरी भारत माता हो, आपको आनंद होगा कि नहीं होगा? गरीब की जिंदगी में बदलाव आएगा कि नहीं आएगा? उस काम को मैंने शुरू किया है, उसमें पहला काम उठाया Toilet बनाने का और मैं, मैं ये विदेश में रहने वाले मेरे भारतीय भाइयों-बहनों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि कई भारतीय भाई-बहन जो विदेश में रहते हैं, उन्‍होंने भी अपने गांवों में public toilet बनाने के लिए पैसे दिए, बनवाए।

हमारे यहां बालिकाएं 3 साल, 5 साल, 6 साल, 8 साल; दूसरी या तीसरी कक्षा में आती हैं तो स्‍कूल जाना छोड़ देती हैं। पता चला कारण क्‍या तो बच्चियों के लिए स्‍कूल में अलग toilet नहीं था। क्‍या 21वीं सदी में हमारी बेटियां अनपढ़ रहें, ये हमें मंजूर है क्‍या? क्‍या उनके साथ ये अन्‍याय है कि नहीं है? और इसलिए मैंने एक बीड़ा उठाया, एक निश्चित समय-सीमा में भारत के सभी स्‍कूलों में girls child के लिए अलग toilet बनना चाहिए और आज मैं खुशी से कह सकता हूं कि सबने मिल करके उस काम को पूरा कर दिया। क्‍या ये काम नहीं होने चाहिए थे क्‍या? पहले होने चाहिए थे कि नहीं होने चाहिए थे?

भाइयों-बहनों, हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका बैंक में account भी नहीं था। आज के युग में अगर बैंक खाते में कोई गरीब को बैंक के दरवाजे तक जाने की स्थिति न हो तो इससे बड़ी शर्मिंदगी क्‍या हो सकती है और इसलिए एक अभियान चलाया, सौ-डेढ़ सौ दिन के अंदर 19 करोड़ नए बैंक के खाते खुल गए। अगर हम व्‍यवस्‍थाएं बदलना चाहते हैं तो देश तैयार है, देश ने अपना मन बना लिया है और उसके कारण बदलाव नजर आने लगा है।

भाइयों-बहनों, भारत अपनी पुरानी समस्‍याओं से मुक्‍त हो ये तो जरूरी है लेकिन क्‍या मुसीबतों से मुक्ति पा करके बैठे रहने से चलेगा क्‍या? भारत को अपनी कठिनाइयों से तो मुक्ति लेनी है लेकिन भारत को आधुनिक भारत भी बनाना है, समृद्ध भारत भी बनाना है, विकास की नई ऊंचाइयों को भी पार करना है।

हमारे यहां रेलवे, रेलवे बहुत पुरानी हमारे यहां व्‍यवस्‍था है लेकिन जिस गति से रेलवे का विकास होना चाहिए, दूर-सुदूर क्षेत्रों में जहां रेल पहुंची नहीं वहां पहुंचाना चाहिए। बाबा आदम के जमाने से जिस गति से रेल चलती थी वो वक्‍त चला गया, अब तेज गति से चलने वाली रेल चाहिए। अच्‍छी सुविधा वाली रेल चाहिए और इसलिए हमने रेलवे में hundred percent foreign direct investment के लिए हमने दरवाजे खोल दिए हैं।

पहली बार, पहली बार London stock exchange में भारत की रेलवे Rupees bond ले करके आई है दोस्‍तों rupees bond। ये पहली बार हुआ है और हम तो जब bond की बात आती है तो सबसे पहले James bond की याद आती है। मनोरंजन की दुनिया मनोरंजन की दुनिया, entertainment के लिए James bond हम भली भांति परिचित हैं, उससे आगे जाएं तो जब bond की बात आती है तो brook bond tea की याद आती है। अगर James bond मनोरंजन देता है तो brook bond ताजगी देता है। Brook bond, tea bond, that’s bond लेकिन अब, अब न मनोरंजन से चलना है न सर्फ ताजगी से चलना है, अब तो विकास की राह पर जाना है और इसलिए James bond, Brook bond, Rupee bond, foreign direct investment में FDI और जब में FDI की बात करता हूं तो उसका एक महत्‍वपूर्ण पहलू तो है foreign direct investment लेकिन मेरे लिए दूसरा भी एक महत्‍वपूर्ण पहलू है Fast Develop India और इन दोनों को balance करते हुए हम आगे बढ़ना चाहते हैं। गत वर्ष की तुलना में आज foreign direct investment में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। ये अपने-आप में इस बात का सबूत है कि विश्‍व का भारत के प्रति विश्‍वास बढ़ रहा है। और भारत के प्रति जो विश्‍वास बढ़ रहा है वो ही भारत को आगे बढ़ाने की एक सबसे बड़ी हमारी ताकत है और उस ताकत को ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

Defence Sector, आज भी हमारी रक्षा के लिए हमें दुनिया की मदद पर निर्भर रहना पड़ता है, depended रहना पड़ता है, हमें शस्‍त्र बाहर से लाने पड़ते हैं, अरबों-खरबों रुपये हमारे बाहर चले जाते हैं। हमने बीड़ा उठाया है, अगर भारत के वीर भारत की रक्षा करते हैं, तो भारत के वीरों के हाथ में वो शस्‍त्र भी भारत के वीरों के हाथों से बना हुआ होना चाहिए। और इसलिए दुनिया से रक्षा के क्षेत्र में उपयोग आने वाले साधन, चाहे वो पनडुब्बियां हों, चाहे हेलीकॉप्‍टर हों, हवाई जहाज हों, टैंक हों, छोटे हथियार हों, ये भारत में निर्माण कैसे हो, उसके expertize भारत में कैसे आएं, technology हिंदुस्‍तान में कैसे आए? उस पर हम भारी मात्रा में बल दे रहे हैं और मैं आज आप को खुशखबरी सुनाता हूं, शस्‍त्रार्थ की दुनिया में जो भी बड़े-बड़े player हैं वे आज भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, भारत में आने के लिए दरवाजे खोज रहे हैं। और मैं विश्‍व को कहना चाहता हूं कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर बनना, मतलब विश्‍व की one-six th humanity हम दुनिया की one-sixth आबादी है। उनकी सुरक्षा मतलब विश्‍व की एक-छठवें वाली सुरक्षा की गारंटी बन जाती है। और वो अपने-आप में दुनिया को सुरक्षित रखने की एक ताकत भी देती है, एक नया विश्‍वास पैदा करती है। हम अपना तो भला करना चाहते हैं लेकिन हमारी भलाई में ओरों की भलाई भी होनी चाहिए।

मैने कहा था ग्‍लोबल वार्मिंग की चिंता। भारत ने बीड़ा उठाया है दो चीजों का। एक, हम दुनिया को सूर्यपुत्र राष्‍ट्र, वो देश जिनको सूर्य की शक्ति का अधिक लाभ मिलता है, जहां गर्मी रहती है, उजाला रहता है। पूरे विश्‍व के ऐसे देशों का हम एक संगठन करना चाहते हैं। भारत ने बीड़ा उठाया है कि दुनिया में 102 देश ऐसे हैं कि जिनको सहज रूप से सूर्य शक्ति का लाभ मिलता है वो एक प्रकार से सूर्यपुत्र राष्‍ट्र हैं। दुनिया में पेट्रोल वाले देशों का संगठन है, G-7 है, G-20 है, आसियान है, सब कुछ है, लेकिन सूर्यपुत्रों को कभी इकट्ठा किसी ने नहीं किया, हमने बीड़ा उठाया है दुनिया के सूर्यपुत्रों को इकट्ठा करने का। ये देश मिल करके Solar energy में research करें, renewable energy में research करें, सूर्य शक्ति का जीवन में कैसे सर्वाधिक उपयोग हो, प्रकृति की रक्षा हो। तो एक तो हम वैश्विक, इस व्‍यवस्‍था का नेतृत्‍व भारत करने जा रहा है और मैं देख रहा हूं, मैं पिछले कुछ दिनों से विश्‍व के नेताओं से बात कर रहा हूं, सब दूर से मुझे सकारात्‍मक समर्थन मिल रहा है और उसकी पहली प्राथमिक मीटिंग इसी महीने के अंत में हम पैरिस में करने जा रहे हैं। सभी देश के लोगों को इस एक अलग से मीटिंग करूंगा वहां मैं बुलाऊंगा उनको बात समझाने वाला हूं। भारत नेतृत्‍व कर सकता है, भारत नेतृत्‍व कर सकता है। इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।

दूसरा काम, ये बात सही है कि भारत में अभी इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है। तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।

दूसरा काम, यह बात सही है कि भारत में भी हर जगह पर 24 घंटे बिजली नहीं पहुंची। 18 हजार गांव को मैंने बताया कि जहां खंभा भी नहीं है। लेकिन जहां बिजली है वहां अभी 24 घंटे नहीं है। हमने बीड़ा उठाया है, 2019, महात्‍मा गांधी के डेढ़ सौ साल हो रहे हैं। दो सपने हैं मेरे, एक सफाई का और दूसरा 24 घंटे बिजली पहुंचाने का और इसलिए हमने एक अभियान चलाया है, Solar Energy का, Wind Energy का, Renewable Energy का। Hundred Seventy five गीगावॉट Renewable Energy का काम शुरू किया है। भारत में जब भी बिजली की बात आती थी मेगावॉट की बात आती थी, मेगावॉट। मेगावॉट से ज्‍यादा हम कभी सोच ही नहीं पाते थे। पहली बार हिन्‍दुस्‍तान गीगावॉट पर सोचने लगा है। जब मैं विश्‍व के नेताओं से मिलता हूं और Hundred Seventy five गीगावॉट बिजली के लक्ष्‍य की बात करता हूं, Renewable Energy की सारे विश्‍व के नेता, उनको अचरज होता है, वह सोचते हैं आप ये कैसे सोच सकते हैं लेकिन मेरे देशवासियों आप के आशीर्वाद से मुझे पूरा भरोसा है कि भारत एक सूर्य शक्ति राष्‍ट्र बन सकता है, सूर्य शक्ति राष्‍ट्र बन सकता है। हम उसे बनाने की दिशा में और उसके बाद जो छोटे-छोटे टापू देश हैं जो जिदंगी और मौत के बिना गुजारा कर रहे हैं उनको लगता है कि Global Warming के कारण अगर समुद्र की सतह बढ़ गई, तो उनका टापू डूब जाएगा कहां जाएंगे। ऐसे सैंकड़ों टापुओं पर रहने वाले लोग, उनकी जिंदगी में खुशी लाने का काम हिन्‍दुस्‍तान की धरती पर हो सकता है और उस काम को हम कर रहे हैं दोस्‍तो।

आज दुनिया में कोई भी Institution होगी। चाहे World Bank हो, IMF हो, दुनिया की कोई भी Rating agency हो। हर कोई एक स्‍वर से कहता है कि भारत विश्‍व के बड़े देशों की, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy है। बहुत तेज गति से बढ़ने वाली Economy है।

दुनिया में एक Transparency International इस प्रकार का रेटिंग करते हैं कि वो कौन देश हैं जहां भ्रष्‍टाचार कम है और भ्रष्‍टाचार कम हो रहा है। हम जानते हैं हमारे देश में ये बदनामी हमको है हमारे सिर पर लिखी हुई है। दीमक की तरह भ्रष्‍टाचार ने हमें तबाह करके रखा हुआ है। लेकिन क्‍या दीमक की दवाई नहीं है क्‍या और दवाई होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? जनता के पैसे का पाई-पाई का हिसाब जनता को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए या किसी के घर भरने के लिए जनता का धन होता है क्‍या? और इसलिए भाइयों और बहनों हमने कदम उठाए हैं उसका परिणाम यह हुआ है Transparency International नाम की Institution, उसने भारत को पहले की स्थिति से दस points आगे कर करके हमारे यहां भ्रष्‍टाचार कम हुआ है, उसको सर्टिफिकेट दे दिया है। पहली बार, पहली बार हम china से अच्‍छी स्थिति में आ गये हैं जो कभी नहीं आते थे। Ease doing business में हम दुनिया के आखिरी छोर पर खड़े थे। हमने कुछ कदम उठाएं, कुछ निर्णय किए, आज हम बहुत तेजी से हमारा नंबर ऊपर की ओर जा रहा है और देखते ही देखते सुफल उसके नज़र आने लगे हैं।

मेरा कहने का तात्‍पर्य है हमें आधुनिक भारत बनाना है। Clean India हो, Skill India हो, Digital India हो, इन सब एक क्षेत्रों में हम कार्यों को नई ऊचांइयों पर ले जाने की दिशा में एक भरपूर प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन मेरे देशवासियों हम ये गलती कभी न करें कि जो हम टीवी के पर्दे पर देखते हैं बस वही हिन्‍दुस्‍तान है ऐसा सोचने की गलती कभी न करें। अखबार की Headline में जो है उतना ही हिन्‍दुस्‍तान है ऐसा नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान बहुत बड़ा है। टीवी के पर्दे के बाहर भी सवा सौ करोड़ देशवासियों का हिन्‍दुस्‍तान बहुत गहरा हिन्‍दुस्‍तान है, बहुत ऊंचा हिन्‍दुस्‍तान है, बहुत ही उत्‍तम हिन्‍दुस्‍तान है और इसलिए न कभी आपने पढ़ा होगा, न कभी आपने सुना होगा।

भाइयों और बहनों राजस्‍थान में अलवर करके जगह है अलवर में इमरान खान नाम का एक व्‍यक्ति है। ये इमरान खान शिक्षा के लिए समर्पित व्‍यक्ति है। अलवर जैसे छोटे स्‍थान का इमरान खान उसने मोबाइल फोन की 50 Apps बनाई और वो भी विद्यार्थियों को काम आए ऐसी शिक्षा से संबंधित उसने App बनाई और बनाई इतना ही नही अलवर के इमरान खान ने खुद ने मिलाई हुई शिक्षा में स्‍टुडेंट को काम आने वाली ये 50 App उसने विद्यार्थियों के नाम मुफ्त में समर्पित कर दी। मेरा हिन्‍दुस्‍तान, वो अलवर के इमरान खान में मेरा हिन्‍दुस्‍तान है।

भाइयों और बहनों कुछ समय पहले हरियाणा, जहां हमारे यहां बेटा और बेटी के Ratio में बहुत बड़ा अन्‍तर है। मैंने एक अभियान चलाया वहां, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ शुरूआत मैंने हरियाणा से की और उसका असर ऐसा था एक छोटे से गांव के सरपंच ने selfie with daughter ऐसा एक प्रयोग किया। मेरे ध्‍यान में आया, मैंने उसकी भी तारीफ की और मैं हैरान था कि सारी दुनिया में हर किसी के Mobile का Interest बन गया था। selfie with daughter. एक जनांदोलन खड़ा हो गया। दुनिया के बड़े-बड़े राजनेता हो, शिक्षा जगत के वरिष्‍ठ लोग हों, आर्थिक जगत के वरिष्‍ठ लोग हों, हर किसी ने अपनी बेटी के साथ selfie निकाल करके mobile phone पर circulate किया। मां-बेटियों का गौरव बढ़ाने का एक अभियान चल पड़ा। ये है मेरा हिन्‍दुस्‍तान ऐसे लाखों लोग है जो आदिवासियों के बीच जा करके, वहां की कठिनाई को भी जी करके, कोई शिक्षा में लगा है, कोई लोगों को हेल्‍थ की चिंता कर रहा है, कोई लोगों के संस्‍कार की चिंता कर रहा है। दूर-सुदूर गांवों में ऐसे अनेक तपस्‍वी लोग बैठे हैं जो जीवन में समाज सेवा का व्रत ले करके काम कर रहे है।

भाईयों-बहनों ऐसे कोटि-कोटि जनों की तपस्‍या, ऐसे कोटि-कोटि जनों का सामर्थ्‍य य‍हीं तो हैं जिसके भरोसे मैं कहता हूं हिन्‍दुस्‍तान बहुत आगे बढ़ने वाला है। हिन्‍दुस्‍तान दुनिया में विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला है।

भाईयों-बहनों मैं आज जब लंदन में आया हूं इतनी सारी मात्रा में हमारे प्रवासी भारतीय भाई-बहन बैठें हैं। मैं कुछ बातें आपको बताना चाहता हूं, OCI, OCI के कारण कुछ समस्‍याएं है ऐसा मेरी बातें मेरे ध्‍यान में आई हैं। उस प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और OCI की समस्‍या से अब आपका मुक्ति मिल जाएगी। उसी प्रकार से OCI और PIO इसको merger कर दिया हमने, लेकिन कुछ लोगों को उसमें दिक्‍कत आ रही है। मैंने उसके लिए आदेश कर दिए है, उसको भी सरल कर दिया गया है। फिर भी आपकी कोई कठिनाईयां होगी, तो उसको address करने की व्‍यवस्‍था बन चुकी है।

Visa का Problem रहता था अब उसको Electronic Travel Authorization कर दिया गया है। उसके कारण आपको उस दिक्‍कत से भी मुक्ति दिलाई गई है। भारत सरकार ने मदद नाम का एक Online platform तैयार किया है। MADAD (मदद) उस Online platform पर जा करके आप अपनी आवश्‍यक चीजें प्राप्‍त कर सकते है। वीजा की Problem हो और कोई OCI का problem हो, PIO का Problem हो उसके लिए रास्‍ते, उसमें एक platform पर वो समस्‍या का समाधान का मार्ग आपको मिल जाए इसकी व्‍यवस्‍था की गई है।

एक E-Migration portal बनाया गया है। जिसके कारण एक स्‍थान पर से दूसरे स्‍थान पर जाने वाले व्‍यक्ति को प्राथामिक जानकारियों की जरूरत पड़ती है। ये E-Migration portal के द्वारा वो जान‍कारियां भी आपको उपलब्‍ध हो जाएंगी।

एक Indian community welfare fund, विश्‍व में रहने वाले भारतीयों को कभी-कभी संकट आ जाता है। उनको संकट से मदद करने के लिए एक Indian community welfare fund इसकी भी व्‍यवस्‍था कर दी गई है और जब मैं गुजरात में था तो लंदन से जो भी लोग मिलने आते थे मेरा गला पकड़ते थे हमारे मित्र सीबी पटेल आते थे। वो lead करते थे और मैं कहता था कि अब मैं तो गुजरात का मुख्‍यमंत्री हूं मैं क्‍या कर सकता हूं। अब मैं प्रधानमंत्री बन गया, तो ये मुझे कह रहे हैं कि मोदी जी बताओ अब तो मुख्‍यमंत्री नहीं हो, क्‍या करोगे। तो आज मैं लंदन की धरती पर आया हूं। 2003 में आया था। तब मैं एक काम यहां करके गया था। लंदन-अहमदाबाद के बीच में Direct flight तब अटल जी की सरकार थी। यहां के लोगों ने मुझे जो कहा मैंने उनको पहुंचाया और अटल जी ने उस काम कर दिया था। लेकिन बाद में क्‍या हुआ आप जानते हैं, कैसे हुआ मैं बताना नहीं चाहता, क्‍यों हुआ मुझे भी मालूम नहीं, किसने किया अब नाम देने की जरूरत क्‍या है। लेकिन मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों 15 दिसंबर से तो मेरे प्‍यारे देशवासियों 15 दिसंबर से लंदन-अहमदाबाद Direct flight शुरू हो जाएगी।

भाईयों-बहनों शायद दुनिया के किसी नेता को भी ऐसा सौभाग्‍य नहीं मिलता होगा। ये आपका आर्शीवाद, ये आपका प्‍यार ऐसी ठंड में भी इतनी बड़ी तादाद में आज आपने एक नया इतिहास बना दिया है।

यहां पर आपसे मेरे एक Request है जिसके पास सुई वाली घड़ी हो जरा घड़ी बाहर निकालिएं, आपकी सुई वाली घड़ी हो जरा बाहर निकालिएं। कितने बजे हैं पौने सात। मैं जरा आपको एक रहस्‍य बताना चाहता हूं। भारत और इंग्‍लैंड का नाता कितना गहरा है, भारत और इंग्‍लैंड के बीच में अपनापन कितना है, हमें भारत और इंग्‍लैंड के समय को देखने के लिए दो घड़ी रखने की जरूरत नहीं है। आप इसको उलटा कर दिजिए, आपको हिन्‍दुस्‍तान का time नजर आ जाएगा। आपकी घड़ी अगर आप सीधी करोगे तो UK का time है, उलटी करोगे इंडिया का time है। अब आपको कभी हिन्‍दुस्‍तान फोन करना हो तो हिसाब नहीं लगाना पड़ेगा कि साढ़े पांच घंटे वापिस जाएं, फिर समय तय करें। घड़ी को उलटा कर दो कि हां ठीक है भई इतना ही time हुआ होगा।

ये दुनिया के दो कोई भी देश के साथ ऐसा समीकरण नहीं है। इतना ही नहीं, इंग्‍लैंड और भारत का ये प्‍यार हमारे अड़ोस-पड़ोस में भी किसी को नहीं है। ये सौभाग्‍य, ये सौभाग्‍य सिर्फ हिन्‍दुस्तान और इंग्‍लैंड के बीच का है। भाईयों-बहनों जब तक सूरज-चांद रहेगा, जब तक समय की गति चलेगी, भारत और इंग्‍लैंड का नाता और मजबूत होता जाएगा। हम कंधे से कंधा मिला करके विकास की नई ऊचाईयों को पार करते चले जाएगें।

भाईयों-बहनों आपने मुझे बहुत प्‍यार दिया। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। 12 साल के बाद आया हूं, लेकिन 12 साल में जो प्‍यार आपने समेट के रखा था, वो सारा प्‍यार की वर्षा आज आपने मेरे पर कर दी। ये प्‍यार, ये उमंग, ये विश्‍वास का प्रतीक है। ये आपकी उमंग और उत्‍साह, आपके भीतर जो सपने है उन सपनों का एहसास कराता है। और मैं मेरे प्‍यारे देश‍वासियों आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं, आपके माध्‍यम से विश्‍वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाईयों-बहनों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि आपके passport का रंग कोई भी क्‍यों न हों, मेरा और आपका नाता उस खून के रंग के साथ जुड़ा हुआ है और जुड़ा रहेगा। आपके passport के रंग से आपके passport के रंग से तय नहीं होगा कि आप कौन है। हमारे लिए तो आप सब हमारे है। जितना अधिकार हिन्‍दुस्‍तान पर नरेंद्र मोदी का है उतना ही अधिकार आप सबका भी है। उस हमारी भारत मां के लिए, हम भी कोई संकल्‍प करें, हम भी भारत मां के जीवन के साथ जुड़ने का प्रयास करें, अपनी शक्ति, समय कभी न कभी मां भारती के लिए लगाने के लिए कभी न कभी सोचे। देश आपका इंतजार कर रहा है दोस्‍तों, देश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

भारत, भारत आपको विश्‍वास दिलाता है कि आपके पास जो सामर्थ्‍य है उसमें खाद डालने का काम करने की ताकत भारत के गरीब से गरीब व्‍यक्ति में भी है। जो आपके सपनों को वटवृक्ष बना सकता है। आपके सपनों को पूरा करने के लिए उर्वरा धरती दे सकता है और उसके लिए मैं विश्‍वभर में फैले मेरे भारतीय भाईयो-बहनों को आग्रह से कहता हूं कि आइएं। देश आगे बढ़ रहा है, हम भी साथ-साथ चल पड़े, हम भी आगे बढ़े।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्‍यवाद!


अतुल कुमार तिवारी / अमित कुमार / हरीश जैन, निर्मल, मधुप्रभा, लक्ष्‍मी 
(Release ID :130458)







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12 November 2015

PM Narendra Modi’s address to the British Parliament



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PMO India Channel



Text of PM Narendra Modi’s address to the British Parliament


Lord Speaker,
Mr. Speaker,
Mr. Prime Minister

I am delighted to be in London. Even in this globalised world, London is still the standard for our times. The city has embraced the world’s diversity and represents the finest in human achievements. And, I am truly honoured to speak in the British Parliament.

Mr. Speaker, thank you for opening the doors to us, here in this magnificent setting of the Royal Court. I know that the Parliament is not in Session. Prime Minister Cameron looks relaxed and relieved.

But, I want to remind you, Mr. Prime Minister, that you owe me royalty for an election slogan. I know that you are hosting me at the Chequers this evening. But, I also know that you will understand if I am fair to both sides of the floor. Especially since British MPs of Indian Origin are evenly balanced between the Treasury and the Opposition benches. So, I also extend my good wishes to the Labour. Indeed, since these are still early days after the election, my warm congratulations to the Members of the House. And, greetings to the eminent leaders of Britain and great friends of India present here today.

So much of the modern history of India is linked to this building. So much history looms across our relationship. There are others who have spoken forcefully on the debts and dues of history. I will only say that many freedom fighters of India found their calling in the institutions of Britain. And, many makers of modern India, including several of my distinguished predecessors, from Jawaharlal Nehru to Dr. Manmohan Singh, passed through their doors.

There are many things on which it is hard to tell anymore if they are British or Indian: The Jaguar or the Scotland Yard, for example. The Brooke Bond tea or my friend late Lord Ghulam Nun’s curry. And, our strongest debates are whether the Lord’s pitch swings unfairly or the wicket at Eden Gardens cracks too early. And, we love the Bhangra rap from London just as you like the English novel from India.

On the way to this event, Prime Minister Cameron and I paid homage to Mahatma Gandhi outside the Parliament. I was reminded of a question I was asked on a tour abroad. How is it that the statue of Gandhi stands outside the British Parliament? To that question, my answer is: The British are wise enough to recognise his greatness; Indians are generous enough to share him; we are both fortunate enough to have been touched by his life and mission; and, we are both smart enough to use the strengths of our connected histories to power the future of our relationship.

So, I stand here today, not as a visiting Head of Government, given the honour to speak in this temple of democracy. I am here as a representative of a fellow institution and a shared tradition.

And, tomorrow, Prime Minister and I will be at the Wembley. Even in India, every young footballer wants to bend it like Beckham. Wembley will be a celebration of one-half-million threads of life that bind us; one and half million people - proud of their heritage in India; proud of their home in Britain.

It will be an expression of joy for all that we share: values, institutions, political system, sports, culture and art. And, it will be a recognition of our vibrant partnerships and a shared future.

The United Kingdom is the third largest investor in India behind Singapore and Mauritius. India is the third largest source of Foreign Direct Investment projects in the United Kingdom. Indians invest more in Britain than in the rest of European Union combined. It is not because they want to save on interpretation costs, but because they find an environment that is welcoming and familiar.

It takes an Indian icon, Tata, to run a British icon and become your nation’s largest private sector employer.

The UK remains a preferred destination for Indian students. And, I am pleased that an Indian company is taking a thousand British students to India to skill them in Information Technology.

We are working together in the most advanced areas of science and technology. We are finding solutions to the enduring human problems of food and health security, and seeking answers to emerging challenges like climate change.

Our security agencies work together so that our children return home safe and our increasingly networked lives are not prey to the threats on cyber space.

Our Armed Forces exercise with each other, so that they can stand more strongly for the values we represent. This year alone, we have had three exercises together.

And, in the international arena, your support has made it more possible for India to take her rightful place in global institutions and regimes. And, it has helped us both advance our common interests.

Mr. Speaker,

Strong as our partnership is, for a relationship such as ours, we must set higher ambitions. We are two democracies; two strong economies; and, two innovative societies.

We have the comfort of familiarity and the experience of a long partnership. Britain’s resurgence is impressive. Its influence on the future of the global economy remains strong.

And, Mr. Speaker, India is new bright spot of hope and opportunity for the world. It is not just the universal judgment of international institutions. It is not just the logic of numbers: a nation of 1.25 billion people with 800 million under the age of 35 years.

This optimism comes from the energy and enterprise of our youth; eager for change and confident of achieving it. It is the result of bold and sustained measures to reform our laws, policies, institutions and processes.

We are igniting the engines of our manufacturing sector; making our farms more productive and more resilient; making our services more innovative and efficient; moving with urgency on building global skills for our youth; creating a revolution in Startup enterprises; and, building the next generation infrastructure that will have a light footprint on the Earth.

Our momentum comes not just from the growth we pursue, but from the transformation that we seek in the quality of life for every citizen.

Much of India that we dream of still lies ahead of us: housing, power, water and sanitation for all; bank accounts and insurance for every citizen; connected and prosperous villages; and, smart and sustainable cities. These are goals with a definite date, not just a mirage of hope.

And, inspired by Gandhiji, the change has begun with us – the way the government works. There is transparency and accountability in governance. There is boldness and speed in decisions.

Federalism is no longer the fault line of Centre-State relations, but the definition of a new partnership of Team India. Citizens now have the ease of trust, not the burden of proof and process. Businesses find an environment that is open and easy to work in.

In a nation connected by cell phones, Digital India is transforming the interface between Government and people.

So, Mr. Speaker, with apologies to poet T.S. Eliot, we won’t let the shadow fall between the idea and reality.

If you visit India, you will experience the wind of change.

It is reflected in the surge of investments from around the world; in enhanced stability of our economy; in 190 million new bank accounts of hope and inclusion; in the increase in our growth to nearly 7.5% per year; and, in the sharp rise in our ranking on Ease of Doing Business.

And, the motto of Sab Ka Saath, Sab Ka Vikas, is our vision of a nation, in which every citizen belongs, participates and prospers.

It is not just a call for economic inclusion. It is also a celebration of our diversity; the creed for social harmony; and, a commitment to individual liberties and rights.

This is the timeless ethos of our culture; this is the basis of our constitution; and, this will be the foundation of our future.

Mr. Speaker,
Members and Friends,

The progress of India is the destiny of one-sixth of humanity. And, it will also mean a world more confident of its prosperity; and, more secure about its future.

It is also natural and inevitable that our economic relations will grow by leaps and bounds. We will form unbeatable partnerships, if we combine our unique strengths and the size and scale of opportunities in India.

We will see more investment and trade. We will open new doors in the Services sector. We will collaborate more – here and in India - in defence equipment and technology. We will work together on renewable and nuclear energy.

We will explore the mysteries of science and harness the power of technology and innovation. We will realise the opportunities of the digital world. Our youth will learn more from - and with - each other.

But, a relationship as rich as this, with so much promise as ours, cannot be measured only in terms of our mutual prosperity.

Mr. Speaker,

Ours is an age of multiple transitions in the world. We are yet to fully comprehend the future unfolding before us. As in the previous ages, it will be different from the world we know.

So, in the uncharted waters of our uncertain times, we must together help steer a steady course for this world in the direction that mirrors the ideals we share.

For, in that lies not just the success of our two nations, but also the promise of the world that we desire. We have the strength of our partnership and the membership of the United Nations, the Commonwealth and the G-20.

We live in a world where instability in a distant region quickly reaches our doorsteps. We see this in the challenges of radicalization and refugees.

The fault lines are shifting from the boundaries of nations into the web of our societies and the streets of our cities. And, terrorism and extremism are a global force that are larger than their changing names, groups, territories and targets.

The world must speak in one voice and act in unison to combat this challenge of our times. We must adopt a Comprehensive Convention on International Terrorism in the UN without delay. There should be no distinction between terrorist groups or discrimination between nations. There should be a resolve to isolate those who harbour terrorists and willingness to stand with nations that will fight them honestly. And, we need a social movement against extremism in countries where it is most prevalent and, every effort to delink religion and terrorism.

Oceans remain vital for our prosperity. Now, we have to also secure our cyber and outer space. Our interests are aligned across many regions. We have a shared interest in stable, prosperous and integrated South Asia, drawn together in a shared march to prosperity.

We want an Afghanistan that is shaped by the dreams of the great Afghan people, not by irrational fears and overreaching ambitions of others.

A peaceful, stable Indian Ocean Region is vital for global commerce and prosperity. And, the future of Asia Pacific region will have profound impact on all of us. We both have huge stakes in West Asia and the Gulf.

And, in Africa, where, amidst many challenges, we see so many promising signs of courage, wisdom, leadership and enterprise. India has just held an Africa Summit, in which all 55 countries, and 42 leaders participated.

We must also cooperate to launch a low carbon age for a sustainable future for our planet. This is a global responsibility that we must assume in Paris later this month.

The world has crafted a beautiful balance of collective action – common but differentiated responsibility and respective capabilities.

Those who have the means and the know-how must help meet the universal aspiration of humanity for clean energy and a healthy environment. And, when we speak of restraint, we must not only think of curbing fossil fuels, but also moderating our lifestyles.

We must all do our part. For India, a target of 175 GW of additional capacity in renewable energy by 2022 and reduction in emission intensity of 33-35 % by 2030 are just two of the steps of a comprehensive strategy.

I have also proposed to launch during the COP 21 meeting an International Solar Alliance to make solar energy an integral part of our lives, even in the most unconnected villages.

In Britain, you are more likely to use an umbrella against rain than the sun. But, my team defined the membership of the Solar Alliance in more precise terms: you have to be located within the Tropics.

And, we are pleased that the United Kingdom qualifies! So, we look forward to an innovative Britain as a valuable partner in this endeavour. Prime Minister Cameron and I are, indeed, very pleased that cooperation on affordable and accessible clean energy is an important pillar of our relations.

Mr. Speaker,

This is a huge moment for our two great nations. So, we must seize our opportunities, remove the obstacles to cooperation, instill full confidence in our relations and remain sensitive to each other’s interests.

In doing so, we will transform our strategic partnership, and we will make this relationship count as one of the leading global partnerships. Ever so often, in the call of Britain’s most famous Bard that we must seize the tide in the affairs of men, the world has sought the inspiration to act. And, so must we.

But, in defining the purpose of our partnership, we must turn to a great son of India, whose house in London I shall dedicate to the cause of social justice on Saturday. Dr. B. R. Ambedkar, whose 125th birth anniversary we are celebrating now, was not just an architect of India’s Constitution and our parliamentary democracy. He also stood for the upliftment of the weak, the oppressed and the excluded. And, he lifted us all to a higher cause in the service of humanity; to build a future of justice, equality, opportunity and dignity for all humans; and, peace among people.

That is the cause to which India and the United Kingdom have dedicated themselves today.

Thank you very much, thanks a lot.

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