RASHTRADRASHTA PT. DEEN DAYAL UPADHYAY GRANTH PRAKASHAN SAMAROH
SALIENT POINTS OF SPEECH BY BJP NATIONAL PRESIDENT, SHRI AMIT SHAH LAUNCH & ADDRESSING RASHTRADRASHTA PT. DEEN DAYAL UPADHYAY GRANTH PRAKASHAN SAMAROH AT PUNE (MAHARASHTRA)
Sunday, 05 June 2016
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री अमित शाह द्वारा पुणे, महाराष्ट्र में पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रंथ प्रकाशन समारोह में दिए गए संबोधन के मुख्य बिंदु
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानव दर्शन भारतीय संस्कृति के मूल विचारों की आत्मा है, यह देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित है: अमित शाह
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एकात्म मानव दर्शन एक शाश्वत और व्यापक वैश्विक चिंतन है, इसकी प्रासंगिकता आज से सैकड़ों साल बाद भी उसी तरह बनी रहेगी जिस तरह यह उस वक्त थी जब इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया था: अमित शाह
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हमारे लिए सत्ता साध्य नहीं, साधन है जिसके माध्यम से हमें भारत को ’विश्व गुरु' बनाना है और इसे सफलता के शिखर पर आसीन करना है: अमित शाह
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हमें अपने आप को एक श्रेष्ठ कार्यकर्ता के रूप में ढालने का चिंतन करना चाहिए, अगर यह सुधार हम अपने-आप में लाने में सफल हो सके तो देश की राजनीति सहज ही निर्मल हो जायेगी: अमित शाह
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आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने स्वतंत्र भारत की जो नींव रखी, वह इस देश के मूल चिंतन पर आधारित नहीं थी, उसमें भारत की मिट्टी की सुगंध नहीं थी बल्कि वह पूर्ण रूप से पाश्चात्य संस्कृति और पाश्चात्य चिंतन पर आधारित थी: अमित शाह
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जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की मोदी सरकार कार्य कर रही है, मुझे पूरा विश्वास है कि हम एकात्म मानव दर्शन के लक्ष्य को हासिल करने में सफल होंगें: अमित शाह
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जनसंघ की स्थापना किसी राजनीतिक स्वार्थ या सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि इस देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए की गई थी: अमित शाह
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मात्र 10 लोगों के साथ जनसंघ के रूप में शुरू हुई भाजपा आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि प्रकृति का शोषण विनाश को आमंत्रित करेगा, हम प्रकृति का संभलकर, संयमित दोहन करके ही विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का मानना था कि विकास और जनोपयोगी नीतियों का निर्धारण विकास की पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को दृष्टि में रखकर किया जाना चाहिए: अमित शाह
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हमारा एक मात्र लक्ष्य गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को ऊपर उठाना है, दबे-कुचले, दलित, आदिवासी, पिछड़े, मजदूर को आगे बढ़ाना है, उनका सामाजिक सशक्तिकरण करना है एवं उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ना है: अमित शाह
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आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, आज हमारा जो वैभव है, वह हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं की तपस्या और अनेकों नाम-अनाम कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ शहादत का परिणाम है: अमित शाह
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री अमित शाह ने आज, रविवार को गणेश कला क्रीड़ा केंद्र, पुणे (महाराष्ट्र) में ‘राष्ट्रद्रष्टा पंडित दीन दयाल उपाध्याय’ ग्रंथ प्रकाशन समारोह में भाग लिया और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन, उनके दर्शन और उनके विचारों पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने कार्यकर्ताओं को वैचारिक प्रेरणा प्रदान करने के लिए और ’राष्ट्रद्रष्टा' पुस्तक के माध्यम से पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जीवन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ’विवेक' का भी आभार व्यक्त किया।
भाजपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की परम्परा रही है कि जो कुछ भी साधन होता है, वह व्यक्ति विशेष का नहीं होता है, वह समाज का होता है। उन्होंने कहा कि इस संस्कृति को अपने जीवन में उतार कर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने दुनिया का भला करने के लिए एक वैचारिक नींव की आधारशिला रखी जिसके नींव में ही ’वसुधैव कुटुम्बकम’ की परिकल्पना निहित थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी एक उत्कृष्ट वक्ता, उत्कृष्ट लेखक, उत्कृष्ट चिंतक और एक महान व्यक्तित्त्व थे।
श्री शाह ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने स्वतंत्र भारत की जो नींव रखी, वह इस देश के मूल चिंतन पर आधारित नहीं थी, उसमें भारत की मिट्टी की सुगंध नहीं थी बल्कि वह पूर्ण रूप से पाश्चात्य संस्कृति और पाश्चात्य चिंतन पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2-3 वर्षों के शासनकाल के बाद ही जब देश की जनता को यह आभास होने लगा कि अगर कांग्रेस की इन्हीं नीतियों और विचारधारा पर देश आगे बढ़ता रहा तो देश बहुत जल्द ही काफी पीछे चला जाएगा, तब कुछ मनीषियों ने परिणाम की परवाह किये बगैर एक वैकल्पिक विचारधारा का सूत्रपात करते हुए जनसंघ की स्थापना की। उन्होंने कहा कि जनसंघ की स्थापना किसी राजनीतिक स्वार्थ या सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि इस देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि आज हमें गर्व की अनुभूति हो रही है कि मात्र 10 लोगों के साथ जनसंघ के रूप में शुरू हुई भाजपा आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी को समझना है, जानना है तो एकात्म मानववाद के दर्शन को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन भारतीय संस्कृति के मूल विचारों की आत्मा है, यह देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित है। उन्होंने कहा कि आज भारत जो लगातार प्रगति के पथ पर ‘विश्व गुरु' बनने की दिशा में तेज गति से अविराम आगे बढ़ रहा है, उसका मूल आधार पंडित जी का एकात्म मानव दर्शन का ही सिद्धांत है। उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन एक शाश्वत और व्यापक वैश्विक चिंतन है, इसकी प्रासंगिकता आज से सैकड़ों सालों बाद भी उसी तरह बनी रहेगी जिस तरह यह उस वक्त थी जब इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया था। श्री शाह ने कहा कि सभी समस्याओं का समाधान इसी दर्शन में निहित है लेकिन इसके लिए इस सिद्धांत के विचारों को पार्टी कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों, पार्टी से जुड़े संगठनों और देश के आम नागरिकों को जन-जन तक पहुंचाना होगा।
श्री शाह ने कहा कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की मोदी सरकार कार्य कर रही है, मुझे पूरा विश्वास है कि हम एकात्म मानव दर्शन के लक्ष्य को हासिल करने में सफल होंगें।
पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने विकास की अवधारणा को उस वक्त पर्यावरण की रक्षा से जोड़ा था जिस वक्त पर्यावरण पर गंभीर संकट की चर्चा नहीं थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि प्रकृति का शोषण विनाश को आमंत्रित करेगा, हम प्रकृति का संभलकर संयमित दोहन करके ही विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।
एकात्म मानव दर्शन के एक महत्त्वपूर्ण आधार ’अन्त्योदय’ पर चर्चा करते हुए श्री शाह ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का मानना था कि विकास और जनोपयोगी नीतियों का निर्धारण विकास की पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को दृष्टि में रखकर किया जाना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि पिछले दो वर्ष के शासनकाल में मोदी सरकार इसी सिद्धांत पर काम कर रही है, हमारा एक मात्र लक्ष्य गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को ऊपर उठाना है, दबे-कुचले, दलित, आदिवासी, पिछड़े, मजदूर को आगे बढ़ाना है, उनका सामाजिक सशक्तिकरण करना है एवं उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ना है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, आज हमारा जो वैभव है, वह हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं की तपस्या और अनेकों नाम-अनाम कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ शहादत का परिणाम है जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी और विचारधारा के लिए समर्पित कर दिया, उन्होंने कभी अपनी या अपने वैभव की चिंता नहीं की, उन्होंने दधीचि की तरह, चन्दन की तरह कई कष्टों को सहते हुए, अनेकों असह्य बाधाओं को पार करते हुए भारतीय जनता पार्टी को यह अतुल्य वैभव प्रदान किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि हमारा लक्ष्य बस सत्ता प्राप्ति नहीं है, हमारे लिए सत्ता साध्य नहीं, साधन है जिसके माध्यम से हमें भारत को ’विश्व गुरु' बनाना है और इसे सफलता के शिखर पर आसीन करना है। श्री शाह ने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय शताब्दी वर्ष में हम यह प्रतिज्ञा करें कि हमें अपने बारे में नहीं बल्कि पार्टी और देश के बारे में सोचना है तो भारत को ’विश्व गुरु' बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें अपने आप को एक श्रेष्ठ कार्यकर्ता के रूप में ढालने का चिंतन करना चाहिए, अगर यह सुधार हम अपने-आप में लाने में सफल हो सके तो देश की राजनीति सहज ही निर्मल हो जायेगी।
http://www.bjp.org/en/media-resources/press-releases/salient-points-of-speech-by-bjp-national-president-shri-amit-shah-launch-addressing-rashtradrashta-pt-deen-dayal-upadhyay-granth-prakashan-samaroh-at-pune-maharashtra-05-06-2016
Ekatma Manav Darshanpraneet arthavyavastha
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The full talk in the above talk is included in essay form in the Marathi Special issue of Vivek - Rashtra Drashta - Pandit Deendayal Upadhyay with the title Ekatma Manav Darshanpraneet arthavyavastha
Updated 10 July 2016, 20 June 2016
SALIENT POINTS OF SPEECH BY BJP NATIONAL PRESIDENT, SHRI AMIT SHAH LAUNCH & ADDRESSING RASHTRADRASHTA PT. DEEN DAYAL UPADHYAY GRANTH PRAKASHAN SAMAROH AT PUNE (MAHARASHTRA)
Sunday, 05 June 2016
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री अमित शाह द्वारा पुणे, महाराष्ट्र में पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रंथ प्रकाशन समारोह में दिए गए संबोधन के मुख्य बिंदु
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानव दर्शन भारतीय संस्कृति के मूल विचारों की आत्मा है, यह देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित है: अमित शाह
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एकात्म मानव दर्शन एक शाश्वत और व्यापक वैश्विक चिंतन है, इसकी प्रासंगिकता आज से सैकड़ों साल बाद भी उसी तरह बनी रहेगी जिस तरह यह उस वक्त थी जब इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया था: अमित शाह
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Pandit Deendayal Upadhyaya - Quotes in Hindi - पंडित दीन दयाल उपाध्याय उद्धरण - विचार
हमारे लिए सत्ता साध्य नहीं, साधन है जिसके माध्यम से हमें भारत को ’विश्व गुरु' बनाना है और इसे सफलता के शिखर पर आसीन करना है: अमित शाह
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हमें अपने आप को एक श्रेष्ठ कार्यकर्ता के रूप में ढालने का चिंतन करना चाहिए, अगर यह सुधार हम अपने-आप में लाने में सफल हो सके तो देश की राजनीति सहज ही निर्मल हो जायेगी: अमित शाह
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आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने स्वतंत्र भारत की जो नींव रखी, वह इस देश के मूल चिंतन पर आधारित नहीं थी, उसमें भारत की मिट्टी की सुगंध नहीं थी बल्कि वह पूर्ण रूप से पाश्चात्य संस्कृति और पाश्चात्य चिंतन पर आधारित थी: अमित शाह
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जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की मोदी सरकार कार्य कर रही है, मुझे पूरा विश्वास है कि हम एकात्म मानव दर्शन के लक्ष्य को हासिल करने में सफल होंगें: अमित शाह
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जनसंघ की स्थापना किसी राजनीतिक स्वार्थ या सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि इस देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए की गई थी: अमित शाह
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मात्र 10 लोगों के साथ जनसंघ के रूप में शुरू हुई भाजपा आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि प्रकृति का शोषण विनाश को आमंत्रित करेगा, हम प्रकृति का संभलकर, संयमित दोहन करके ही विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं: अमित शाह
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पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का मानना था कि विकास और जनोपयोगी नीतियों का निर्धारण विकास की पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को दृष्टि में रखकर किया जाना चाहिए: अमित शाह
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हमारा एक मात्र लक्ष्य गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को ऊपर उठाना है, दबे-कुचले, दलित, आदिवासी, पिछड़े, मजदूर को आगे बढ़ाना है, उनका सामाजिक सशक्तिकरण करना है एवं उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ना है: अमित शाह
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आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, आज हमारा जो वैभव है, वह हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं की तपस्या और अनेकों नाम-अनाम कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ शहादत का परिणाम है: अमित शाह
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, श्री अमित शाह ने आज, रविवार को गणेश कला क्रीड़ा केंद्र, पुणे (महाराष्ट्र) में ‘राष्ट्रद्रष्टा पंडित दीन दयाल उपाध्याय’ ग्रंथ प्रकाशन समारोह में भाग लिया और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के जीवन, उनके दर्शन और उनके विचारों पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने कार्यकर्ताओं को वैचारिक प्रेरणा प्रदान करने के लिए और ’राष्ट्रद्रष्टा' पुस्तक के माध्यम से पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जीवन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ’विवेक' का भी आभार व्यक्त किया।
भाजपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की परम्परा रही है कि जो कुछ भी साधन होता है, वह व्यक्ति विशेष का नहीं होता है, वह समाज का होता है। उन्होंने कहा कि इस संस्कृति को अपने जीवन में उतार कर पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने दुनिया का भला करने के लिए एक वैचारिक नींव की आधारशिला रखी जिसके नींव में ही ’वसुधैव कुटुम्बकम’ की परिकल्पना निहित थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी एक उत्कृष्ट वक्ता, उत्कृष्ट लेखक, उत्कृष्ट चिंतक और एक महान व्यक्तित्त्व थे।
श्री शाह ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने स्वतंत्र भारत की जो नींव रखी, वह इस देश के मूल चिंतन पर आधारित नहीं थी, उसमें भारत की मिट्टी की सुगंध नहीं थी बल्कि वह पूर्ण रूप से पाश्चात्य संस्कृति और पाश्चात्य चिंतन पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2-3 वर्षों के शासनकाल के बाद ही जब देश की जनता को यह आभास होने लगा कि अगर कांग्रेस की इन्हीं नीतियों और विचारधारा पर देश आगे बढ़ता रहा तो देश बहुत जल्द ही काफी पीछे चला जाएगा, तब कुछ मनीषियों ने परिणाम की परवाह किये बगैर एक वैकल्पिक विचारधारा का सूत्रपात करते हुए जनसंघ की स्थापना की। उन्होंने कहा कि जनसंघ की स्थापना किसी राजनीतिक स्वार्थ या सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि इस देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि आज हमें गर्व की अनुभूति हो रही है कि मात्र 10 लोगों के साथ जनसंघ के रूप में शुरू हुई भाजपा आज 11 करोड़ से अधिक सदस्यों के साथ विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी को समझना है, जानना है तो एकात्म मानववाद के दर्शन को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन भारतीय संस्कृति के मूल विचारों की आत्मा है, यह देश की मिट्टी की सुगंध से सुवासित है। उन्होंने कहा कि आज भारत जो लगातार प्रगति के पथ पर ‘विश्व गुरु' बनने की दिशा में तेज गति से अविराम आगे बढ़ रहा है, उसका मूल आधार पंडित जी का एकात्म मानव दर्शन का ही सिद्धांत है। उन्होंने कहा कि एकात्म मानव दर्शन एक शाश्वत और व्यापक वैश्विक चिंतन है, इसकी प्रासंगिकता आज से सैकड़ों सालों बाद भी उसी तरह बनी रहेगी जिस तरह यह उस वक्त थी जब इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया गया था। श्री शाह ने कहा कि सभी समस्याओं का समाधान इसी दर्शन में निहित है लेकिन इसके लिए इस सिद्धांत के विचारों को पार्टी कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों, पार्टी से जुड़े संगठनों और देश के आम नागरिकों को जन-जन तक पहुंचाना होगा।
श्री शाह ने कहा कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की मोदी सरकार कार्य कर रही है, मुझे पूरा विश्वास है कि हम एकात्म मानव दर्शन के लक्ष्य को हासिल करने में सफल होंगें।
पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने विकास की अवधारणा को उस वक्त पर्यावरण की रक्षा से जोड़ा था जिस वक्त पर्यावरण पर गंभीर संकट की चर्चा नहीं थी। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि प्रकृति का शोषण विनाश को आमंत्रित करेगा, हम प्रकृति का संभलकर संयमित दोहन करके ही विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।
एकात्म मानव दर्शन के एक महत्त्वपूर्ण आधार ’अन्त्योदय’ पर चर्चा करते हुए श्री शाह ने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का मानना था कि विकास और जनोपयोगी नीतियों का निर्धारण विकास की पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को दृष्टि में रखकर किया जाना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि पिछले दो वर्ष के शासनकाल में मोदी सरकार इसी सिद्धांत पर काम कर रही है, हमारा एक मात्र लक्ष्य गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन को ऊपर उठाना है, दबे-कुचले, दलित, आदिवासी, पिछड़े, मजदूर को आगे बढ़ाना है, उनका सामाजिक सशक्तिकरण करना है एवं उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ना है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आज हम जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, आज हमारा जो वैभव है, वह हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं की तपस्या और अनेकों नाम-अनाम कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ शहादत का परिणाम है जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी और विचारधारा के लिए समर्पित कर दिया, उन्होंने कभी अपनी या अपने वैभव की चिंता नहीं की, उन्होंने दधीचि की तरह, चन्दन की तरह कई कष्टों को सहते हुए, अनेकों असह्य बाधाओं को पार करते हुए भारतीय जनता पार्टी को यह अतुल्य वैभव प्रदान किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए कहा कि हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि हमारा लक्ष्य बस सत्ता प्राप्ति नहीं है, हमारे लिए सत्ता साध्य नहीं, साधन है जिसके माध्यम से हमें भारत को ’विश्व गुरु' बनाना है और इसे सफलता के शिखर पर आसीन करना है। श्री शाह ने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय शताब्दी वर्ष में हम यह प्रतिज्ञा करें कि हमें अपने बारे में नहीं बल्कि पार्टी और देश के बारे में सोचना है तो भारत को ’विश्व गुरु' बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें अपने आप को एक श्रेष्ठ कार्यकर्ता के रूप में ढालने का चिंतन करना चाहिए, अगर यह सुधार हम अपने-आप में लाने में सफल हो सके तो देश की राजनीति सहज ही निर्मल हो जायेगी।
http://www.bjp.org/en/media-resources/press-releases/salient-points-of-speech-by-bjp-national-president-shri-amit-shah-launch-addressing-rashtradrashta-pt-deen-dayal-upadhyay-granth-prakashan-samaroh-at-pune-maharashtra-05-06-2016
Ekatma Manav Darshanpraneet arthavyavastha
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The full talk in the above talk is included in essay form in the Marathi Special issue of Vivek - Rashtra Drashta - Pandit Deendayal Upadhyay with the title Ekatma Manav Darshanpraneet arthavyavastha
Updated 10 July 2016, 20 June 2016
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