14 September - 14 सितम्बर
संविधान ने 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया था. भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में यह वर्णित है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय होगा.
इसके बाद साल 1953 में हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
हिंदी दिवस पर हिट हिंदी फिल्म देखिए - आप लिये हिट हिंदी फिल्में यूट्यूब विडियों का बड़ा समूह
हिंदी के समबन्ध में कुछ महानुभावों के विचार
१. हिंदी के द्वारा सरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है. - स्वामी दयानंद सरस्वती
२. राष्ट्रीय मेल और राजनीतिक एकता के लिये सारे देश में हिंदी और नागरी का प्रचार आवश्यक है -
लाला लाजपत राय
३.राष्ट्र की एकता को यदि बना कर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिंदी ही हो सकती है -
सुब्रहमणयम भारती
४ प्रान्तीय ईर्ष्या द्वेष दूर करने में इतनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी,उतनी दूसरी चीज से नहीं -
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
५. राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है -
महात्मा गाँधी
‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’। - गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर
2014
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Picture Source: http://pib.nic.in/photo//2014/Sep/l2014091456735.jpg
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी 14 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली में हिन्दी दिवस समारोह के दौरान। साथ में हैं, केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्रालय में आधिकारिक भाषा की सचिव श्रीमती नीता चौधरी।
राष्ट्रपति
देवियो और सज्जनो,
मैं, हिंदी दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। हिंदी में सराहनीय कार्य के लिए मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को विशेष बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि वे राजभाषा को और अधिक बढ़ावा देंगे।
भारत के संविधान में हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। इसके साथ ही, संविधान के भाग सत्रह, अनुच्छेद तीन सौ इक्यावन में कहा गया है कि राजभाषा हिंदी को इस तरह विकसित किया जाए कि वह भारत की विविध संस्कृति को व्यक्त करने में सक्षम हो। इस प्रकार राजभाषा के रूप में हिंदी को एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। हिंदी के महत्त्व को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’।
देवियो और सज्जनो,
लोकतंत्र में सरकार और जनता के बीच प्रशासनिक संपर्क को सशक्त बनाने में भाषा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सरकारी नीतियों और योजनाओं को जनता तक उनकी अपनी बोली में पहुंचाने में भाषा सहायक है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र प्रगतिशील हो तथा विकास योजनाएं जनता तक सुचारु रूप से पहुंचें तो हमें संघ के कामकाज में हिंदी का तथा राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाना होगा। परंतु इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि सरकारी कामकाज की भाषा सरल हो। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि राजभाषा विभाग ने हाल ही में सरल हिंदी शब्दावली तैयार की है। मुझे उम्मीद है कि यह शब्दावली हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देगी।
मैं, समय-समय पर देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने भाषण द्वारा भारत में उच्च शिक्षा के स्तर पर चिंता व्यक्त करता रहा हूं। ईसा पूर्व तीसरी सदी से बारहवीं ईस्वी सदी के पंद्रह सौ वर्षों के दौरान भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वभर में प्रसिद्ध था। परंतु आज भारत का कोई भी उच्च शिक्षा संस्थान विश्व के दो सौ सर्वोत्तम संस्थानों में शामिल नहीं है। जरूरत इस बात की है कि बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी पुस्तकें विद्यार्थियों को अपनी भाषाओं में पढ़ने के लिए मिलें। मुझे खुशी है कि राजभाषा विभाग द्वारा राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना के द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान संबंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी।
देवियो और सज्जनो,
आधुनिक युग में आज इंटरनेट, मोबाइल आदि में हिंदी का प्रयोग काफी आगे बढ़ चुका है। इंटरनेट तथा मोबाइल सेवाओं के माध्यम से हम जनता को कुशल प्रशासन दे सकते हैं तथा जन-सेवाओं को स्थानीय भाषा के द्वारा गांव-गांव तक पहुंचा सकते हैं। मुझे बताया गया है कि सभी मंत्रालयों और विभागों ने अपनी वेबसाइटें हिंदी में भी तैयार कर ली हैं। सभी सरकारी कार्यालयों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि इन वेबसाइटों पर नवीनतम् सूचनाएं उपलब्ध हों जिससे जनता को तुरंत उपयोगी जानकारी उपलब्ध हो सके।
अंत में, मैं राजभाषा विभाग को हिंदी दिवस के आयोजन के लिए बधाई देता हूं। मैं यहां उपस्थित हिंदी सेवियों तथा देश-विदेश के सभी हिंदी प्रेमियों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी निष्ठा के साथ प्रयास करें।
धन्यवाद,
जय हिंद!
http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=65732
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References
Jagran Junction Article
संविधान ने 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया था. भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में यह वर्णित है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय होगा.
इसके बाद साल 1953 में हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
हिंदी दिवस पर हिट हिंदी फिल्म देखिए - आप लिये हिट हिंदी फिल्में यूट्यूब विडियों का बड़ा समूह
हिंदी के समबन्ध में कुछ महानुभावों के विचार
१. हिंदी के द्वारा सरे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है. - स्वामी दयानंद सरस्वती
२. राष्ट्रीय मेल और राजनीतिक एकता के लिये सारे देश में हिंदी और नागरी का प्रचार आवश्यक है -
लाला लाजपत राय
३.राष्ट्र की एकता को यदि बना कर रखा जा सकता है तो उसका माध्यम हिंदी ही हो सकती है -
सुब्रहमणयम भारती
४ प्रान्तीय ईर्ष्या द्वेष दूर करने में इतनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी,उतनी दूसरी चीज से नहीं -
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस
५. राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए आवश्यक है -
महात्मा गाँधी
‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’। - गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर
2014
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Picture Source: http://pib.nic.in/photo//2014/Sep/l2014091456735.jpg
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी 14 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली में हिन्दी दिवस समारोह के दौरान। साथ में हैं, केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्रालय में आधिकारिक भाषा की सचिव श्रीमती नीता चौधरी।
राष्ट्रपति
देवियो और सज्जनो,
मैं, हिंदी दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। हिंदी में सराहनीय कार्य के लिए मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को विशेष बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि वे राजभाषा को और अधिक बढ़ावा देंगे।
भारत के संविधान में हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। इसके साथ ही, संविधान के भाग सत्रह, अनुच्छेद तीन सौ इक्यावन में कहा गया है कि राजभाषा हिंदी को इस तरह विकसित किया जाए कि वह भारत की विविध संस्कृति को व्यक्त करने में सक्षम हो। इस प्रकार राजभाषा के रूप में हिंदी को एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। हिंदी के महत्त्व को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’।
देवियो और सज्जनो,
लोकतंत्र में सरकार और जनता के बीच प्रशासनिक संपर्क को सशक्त बनाने में भाषा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सरकारी नीतियों और योजनाओं को जनता तक उनकी अपनी बोली में पहुंचाने में भाषा सहायक है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र प्रगतिशील हो तथा विकास योजनाएं जनता तक सुचारु रूप से पहुंचें तो हमें संघ के कामकाज में हिंदी का तथा राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाना होगा। परंतु इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि सरकारी कामकाज की भाषा सरल हो। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि राजभाषा विभाग ने हाल ही में सरल हिंदी शब्दावली तैयार की है। मुझे उम्मीद है कि यह शब्दावली हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देगी।
मैं, समय-समय पर देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों और विद्यार्थियों को अपने भाषण द्वारा भारत में उच्च शिक्षा के स्तर पर चिंता व्यक्त करता रहा हूं। ईसा पूर्व तीसरी सदी से बारहवीं ईस्वी सदी के पंद्रह सौ वर्षों के दौरान भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वभर में प्रसिद्ध था। परंतु आज भारत का कोई भी उच्च शिक्षा संस्थान विश्व के दो सौ सर्वोत्तम संस्थानों में शामिल नहीं है। जरूरत इस बात की है कि बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी पुस्तकें विद्यार्थियों को अपनी भाषाओं में पढ़ने के लिए मिलें। मुझे खुशी है कि राजभाषा विभाग द्वारा राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना के द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान संबंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी।
देवियो और सज्जनो,
आधुनिक युग में आज इंटरनेट, मोबाइल आदि में हिंदी का प्रयोग काफी आगे बढ़ चुका है। इंटरनेट तथा मोबाइल सेवाओं के माध्यम से हम जनता को कुशल प्रशासन दे सकते हैं तथा जन-सेवाओं को स्थानीय भाषा के द्वारा गांव-गांव तक पहुंचा सकते हैं। मुझे बताया गया है कि सभी मंत्रालयों और विभागों ने अपनी वेबसाइटें हिंदी में भी तैयार कर ली हैं। सभी सरकारी कार्यालयों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि इन वेबसाइटों पर नवीनतम् सूचनाएं उपलब्ध हों जिससे जनता को तुरंत उपयोगी जानकारी उपलब्ध हो सके।
अंत में, मैं राजभाषा विभाग को हिंदी दिवस के आयोजन के लिए बधाई देता हूं। मैं यहां उपस्थित हिंदी सेवियों तथा देश-विदेश के सभी हिंदी प्रेमियों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी निष्ठा के साथ प्रयास करें।
धन्यवाद,
जय हिंद!
http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=65732
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Jagran Junction Article
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