भारत शिक्षक दिवस
2014
शिक्षक दिवस पर शुभ कामनाएं - प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी
अथक रूप से जनाना ज्योति जलाने वाले और पीढ़ियोंको नया स्वरूप प्रदान करने वाले सभी शिक्षकों को नमन।
डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि
PM's interaction with teachers who won National Awards.
शिक्षक दिवस के सन्दर्भ में प्रधान मंत्री छात्रोंसे वार्तालाप किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बच्चों बात करते हुए।(फोटो आईडी: 56473, पसूका-हिंदी इकाई)
Source: http://pib.nic.in/photo//2014/Sep/l2014090556473.jpg
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DD News
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भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है| भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है।
हिन्दू संस्कृत और पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। इसी वजे भारत में दो शिक्षक दिन मनाये जाते हैं ।
महत्त्व - शिक्षक का मान-सम्मान
भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही आचार्य देवो भवः का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं।
भारत में मानते हैं: मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव। भगवान के बाद निजी जीवन में माँ, पिता और गुरु को भगवान मानना भारतीय संस्कृत है
कच्चे घड़े की भांति स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जिस रूप में ढालो, वे ढल जाते हैं। वे स्कूल में जो सीखते हैं या जैसा उन्हें सिखाया जाता है, वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा वह अपने आस-पास होता देखते हैं। सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है, जो गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। सभी सिक्षकोंको ऐ ध्यान पे होना चाहिए की उनकी आचार व्यवहार और बोधना पद्धति की बच्चों पे बहुत असर पढता है।
शिक्षक - एक माली
माली एक बगीचे को भिन्न-भिन्न रूप-रंग के फूलों से सजाता है। शिक्षक भी एक एक छात्र को एक बगीचे के तरफ सजाता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने को प्रोत्साहित करता है। उन्हें जीने की वजह समझाता है। शिक्षक ही वह धुरी होता है, जो विद्यार्थी को सही-गलत व अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है। वह प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है।
ऐसी परंपरा, ऐेसी संस्कृति जिसमें एक गुरु शिष्य का सर्वांगीण विकास का जिम्मेदारी लेके बोधन करता हैं, हमारी संस्कृति में थी, इसलिए कहा गया है कि-
"गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।"
शिक्षक के लिए सभी छात्र समान होते हैं और वह सभी का कल्याण चाहता है।
गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है, जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। हर काव्य में और हर ग्रन्थ में गुरु स्तुति देखने को मिलती है।
Reference
Bharat Discovery Article
2014
शिक्षक दिवस पर शुभ कामनाएं - प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी
अथक रूप से जनाना ज्योति जलाने वाले और पीढ़ियोंको नया स्वरूप प्रदान करने वाले सभी शिक्षकों को नमन।
डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि
PM's interaction with teachers who won National Awards.
शिक्षक दिवस के सन्दर्भ में प्रधान मंत्री छात्रोंसे वार्तालाप किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 05 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान बच्चों बात करते हुए।(फोटो आईडी: 56473, पसूका-हिंदी इकाई)
Source: http://pib.nic.in/photo//2014/Sep/l2014090556473.jpg
वार्तालाप का वीडियो
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शिक्षक दिवस का बारे में
भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है| भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है।
हिन्दू संस्कृत और पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। इसी वजे भारत में दो शिक्षक दिन मनाये जाते हैं ।
महत्त्व - शिक्षक का मान-सम्मान
भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही आचार्य देवो भवः का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं।
भारत में मानते हैं: मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव। भगवान के बाद निजी जीवन में माँ, पिता और गुरु को भगवान मानना भारतीय संस्कृत है
कच्चे घड़े की भांति स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जिस रूप में ढालो, वे ढल जाते हैं। वे स्कूल में जो सीखते हैं या जैसा उन्हें सिखाया जाता है, वे वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा वह अपने आस-पास होता देखते हैं। सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है, जो गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। सभी सिक्षकोंको ऐ ध्यान पे होना चाहिए की उनकी आचार व्यवहार और बोधना पद्धति की बच्चों पे बहुत असर पढता है।
शिक्षक - एक माली
माली एक बगीचे को भिन्न-भिन्न रूप-रंग के फूलों से सजाता है। शिक्षक भी एक एक छात्र को एक बगीचे के तरफ सजाता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने को प्रोत्साहित करता है। उन्हें जीने की वजह समझाता है। शिक्षक ही वह धुरी होता है, जो विद्यार्थी को सही-गलत व अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है। वह प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है।
ऐसी परंपरा, ऐेसी संस्कृति जिसमें एक गुरु शिष्य का सर्वांगीण विकास का जिम्मेदारी लेके बोधन करता हैं, हमारी संस्कृति में थी, इसलिए कहा गया है कि-
"गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।"
शिक्षक के लिए सभी छात्र समान होते हैं और वह सभी का कल्याण चाहता है।
गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है, जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। हर काव्य में और हर ग्रन्थ में गुरु स्तुति देखने को मिलती है।
Reference
Bharat Discovery Article
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