Thursday, April 30, 2015

Narendra Modi's Make in India Speech on 25 September 2014 - Important Points in Hindi

दीनदयाल उपाध्‍याय जी के चरणों में मेक इन इंडिया सपना समर्पित कर  रहा हूँ 

उस सपने को साकार करने के लिए मै कटिबध्द हूँ



मेरे व्‍यक्तिगत जीवन में, मेरे राजनीतिक यात्रा के जीवन में भी आज का दिवस बड़ा महत्‍वपूर्ण है। आज 25 सितंबर, जिनके आदर्श और विचारों की प्रेरणा से लेकर के हम लोगों ने राजनीतिक यात्रा शुरू की, वो पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी की आज जन्‍म जयंती है। जिन्‍होंने एकात्‍म मानव दर्शन दुनिया को दिया है। ऐसे महापुरूषों के जन्‍मदिन पर, जो जिए देश के लिए, वो जूझते रहे देश के लिए, उनके चरणों में मेक इन इंडिया सपना समर्पित करने का अवसर मिल रहा है। उस सपने को साकार करने के लिए संकल्पित हैं।

क्‍या हुआ पिछले सालों में? मैं जिससे भी मिलता था, पिछले दो-तीन साल में, हर कोई यही कहता था कि भई, अब तो कहीं बाहर जाना है। बिजनेस यहां से शिफ्ट करना है। इंडस्‍ट्री यहां से शिफ्ट करनी है। मैं उसमें राजनीतिक कारण नहीं देखता था, और न ही मैं इन बातों को सुन कर के राजनीतिक फायदा लेने के लिए कोई प्‍लान बनाता था। यह जब मैं सुनता या तो मुझे पीड़ा होती थी। क्‍या हुआ है मेरे देश को, कि मेरे ही देश के लोग अपना देश छोड़कर के जाने के लिए मजबूर हो जा रहे हैं?

आज जब मैं Make in India की बात लेकर के आया हूं तो हम नहीं चाहते कि मेरे देश का कोई उद्योग, कोई व्‍यवसायी, जिसेसे मजबूरन यहां से छोड़कर के बाहर जाना पड़े - वह स्थिति हमें बदलनी है। और मैं पिछले कुछ महीनों के अनुभव से यह कहता हूं कि हम ये बदल चुके हैं। व्‍यवसाय के क्षेत्र में जुटे हुए लोगों ने अपने आप पर से विश्‍वास खो दिया था। उनको लगता था कि हम दुनिया में टिक नहीं पाएंगे। अब हमारे पास यहां कोई चारा ही नहीं है। और जब व्‍यक्ति खुद पर विश्‍वास खो देता है, तब उसे खड़ा करना बड़ा मुश्किल होता जाता है। दूसरा उसका भरोसा टूट गया था – “पता नहीं यार, सरकार कब क्‍या नीति बनाएगी। कब कौन सी नीति बदल देगी। पता नहीं, कब CBI आ धमकेगी।” ये जो मैंने आप लोगों से सुना था। कानून का राज होना ही चाहिए। जैसे Corporate Social Responsibility की चर्चा है, वैसे Corporate Government Responsibility का भी माहौल होना चाहिए। लेकिन, at the same time, शासन की भी जिम्‍मेदारियां होती हैं। सरकार का भी दायित्‍व होता है।

मेरे FDI की परिभाषा ये है: भारतीयों के लिए है, FDI – “First Develop India”. और विश्‍व के व्‍यापार व्‍यवसाय को विस्‍तार करने वालों के लिए मैं कहता हूं भारत एक Opportunity है, Foreign Direct Divestment के लिए ये दो FDI की परिभाषा को लेकर के, इस दो पटरी पर विकास की यात्रा को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

आखिरकार Manufacturer को cost effective manufacturing की जितनी आवश्‍यकता है, उतनी ही उसको Handsome Buyer की भी जरूरत होती है, तभी तो उसकी गाड़ी चलती है। यहां मारूति कार कितनी ही क्‍यों न बनें, लेकिन खरीदार नहीं होगा तो? इसलिए हमें भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में जिस प्रकार का बदलाव लाना है, उस बदलाव में एक तरफ Manufacturing Growth को बढ़ाना है, at the same Time उसका सीधा Benefit हिन्‍दुस्‍तान के नौजवानों को मिले, उसे रोजगार मिले ताकि गरीब से गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति में बदलाव आए, वो गरीबी से Middle Class की ओर बढ़े और उसका Purchasing Power बढ़े तो Manufacturer की संख्‍या बढ़ेगी, Manufacturing Growth बढ़ेगा, रोजगार के अवसर उपलब्‍ध है, फिर एक बार बाजार बढ़ेगा। यह एक ऐसा चक्र है। इस चक्र को आगे बढ़ाने की दिशा में यह महत्‍वपूर्ण काम आज हुआ है। ये शेर का कदम है। ये Lion का Step है - Make in India ।

आज हमारे देश में सरकार की सोच, उद्योग की सोच, academic world की सोच और job seeker नौजवानों की सोच - क्‍या इन चारों का कोई संबंध है क्‍या? कोई मेल है क्‍या? I am sorry to say, नहीं है।

जब दुनिया औद्योगिक क्रांति के कालखंड में थी, उसके पहले हम सोने की चिडि़या के रूप में माने जाते थे। लेकिन जब दुनिया औद्योगिक क्रांति की सीढि़या चढ़ रही थी, तब हम पिछड़ गए। क्‍यों? हम गुलाम थे। वह अवसर हमने खो दिया। उसके बाद आर्थिक चेतना का एक नया युग नया अवसर आया। और यह सदनसीब है कि यह एशिया का है। अब हमारा जिम्‍मा बनता है कि इसे भारत का कैसे बनायें। एक ऐसा मौका आया है, और हमारे पास सबसे बड़ा सामर्थवान है कि 65% पोपुलेशन 35 वर्ष से नीचे है।

कल के मार्स की घटना के बाद हमारे टैलेंट को कोई question करेगा। हमारे पास टैलेंटेड मैनपावर है। ये सामर्थवान मैनपावर है। उसको लेकर के हम चलना चाहता हैं।


इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करता हूं। जो भी सोचते थे, बस अब जाएंगे कहीं। मैं कहता हूं, अब जाना नहीं है कहीं। यह देश आपका है। यहां इतना फलो-फूलो, फिर बाहर कदम रखो, तो उसका एक आनंद और है। मजबूरन जाना पड़े, इसका कोई आनंद नहीं हैं और मैं चाहता हूं, हिंदुस्‍तान की कंपनियां भी मल्‍टी नेशनल बने। हिंदुस्‍तान की कंपनियों के भी दुनिया के अंदर अपने हाथ-पैर हों। यह हम चाहते हैं। लेकिन अपनी धरती को हम मजबूत बनाएं। यहां के नौजवानों को रोजगार देने के लिए हम कदम उठाएं। और ये एक ऐसी सरकार है जो विकास को समर्पित है। यह ऐसी सरकार है, जिसका ये political agenda नहीं है – article of faith है। और इसलिए मैं कहने आया था और मेरा विश्‍वास मैं बताता हूं जी। मैं जब गुजरात में था और मैं बड़े विश्‍वास से कहता था, कि वही मुलाजिम, वही सरकार, वही दफ्तर, वही फाइलें, वही लोग, इसके बावजूद भी दुनिया बदली जा सकती है।

मैं आज दिल्‍ली में आकर के कह सकता हूं, वही आफिस, वही अफसर, वही फाइलें, वही गाडि़यां, वही तौर-तरीके, उसके बावजूद भी उसमें जान भरी जा सकती है, हिंदुस्‍तान की दिशा बदली जा सकती है। हिंदुस्‍तान का भाग्‍य भी बदला जा सकता है। इस विश्‍वास के साथ मैं आगे बढ़ा।

मेरा कहने का मतलब ये है कि आज Make in India, ये नारा नहीं है। ये Make in India, ये निमंत्रण नहीं है। Make in India, ये हम सबकी जिम्‍मेदारी है।

मैं आप सबको विश्‍वास दिलाता हूं, आइए, हम सब मिलकर के इस Make In India concept को जिनकी-जिनकी जिम्‍मेदारी है, उसको हम पूरा करें। हम आगे बढ़े, manufacturing sector में हम फिर एक बार नई ऊंचाईयों को पार करें और देश के गरीब से गरीब नौजवान को रोजगार उपलब्‍ध करायें। गरीब को रोजगार मिलेगा, भारत के आर्थिक चक्र वो और गति से चला पाएंगे। इसी एक विश्‍वास के साथ आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

मेरे व्‍यक्तिगत जीवन में, मेरे राजनीतिक यात्रा के जीवन में भी आज का दिवस बड़ा महत्‍वपूर्ण है। आज 25 सितंबर, जिनके आदर्श और विचारों की प्रेरणा से लेकर के हम लोगों ने राजनीतिक यात्रा शुरू की, वो पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी की आज जन्‍म जयंती है। जिन्‍होंने एकात्‍म मानव दर्शन दुनिया को दिया है। ऐसे महापुरूषों के जन्‍मदिन पर, जो जिए देश के लिए, वो जूझते रहे देश के लिए, उनके चरणों में मेक इन इंडिया सपना समर्पित करने का अवसर मिल रहा है। उस सपने को साकार करने के लिए संकल्पित हैं।

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