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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - 2014 के ऐतिहासिक चुनाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के ऐतिहासिक चुनावों से पहले इस प्राचीन नगर की यात्रा के दौरान वाराणसी को भारत की गौरवशाली संस्कृति का उद्गम तथा परंपराओं, इतिहास, संस्कृति और समरसता का संगम स्थल कहा था। वाराणसी से मतदाताओं ने उन्हें रिकॉर्ड अंतर से विजयी बनाया।
उनके लोकसभा क्षेत्र के रूप में वाराणसी एक ऐसे परिवर्तन से रूबरू है, जिसकी पहले कभी कल्पना नहीं की गई थी। इस शहर को विश्व विरासत स्थल बनाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं, जिसका वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2014 में अपना नामांकन दाखिल करने के साथ किया था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत साफ-सफाई को लेकर विशेष जोर देने के साथ ही उत्कृष्ट पर्यटन और बुनियादी सुविधाओं पर खासतौर से ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने अपनी भागीदारी तथा नियमित निगरानी के साथ स्वच्छता अभियान को शुरू किया और इसके नतीजे दिखने लगे हैं।
स्वच्छता, संपर्क और संरक्षण
वाराणसी, जो भारत की विरासत में पहले ही विशेष स्थान बना चुका है, अब एक नया इतिहास रचने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस प्राचीन शहर को दुनिया के समक्ष धरती के सर्वाधिक स्वच्छ, कनेक्टेड और संरक्षित स्थलों में एक के रूप में प्रस्तुत करने लिए विशेष प्रयास किए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक बड़े अभियान के परिणाम पहले ही दिखने लगे हैं। प्रमुख घाटों पर वाई-फाई कनेक्टिविटी आज एक हकीकत है और जापानी शहर क्योटो के साथ एक विशेष साझेदारी समझौते से वाराणसी को भारत-जापान संबंधों की विविधता और गहराई तथा इसके मानवीय आयामों को दर्शाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने भारतीय रेल की मदद से और कपड़ा तथा पावरलूम उद्योग का पुनरोद्धार कर इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने पर भी खास जोर दिया है।
नरेंद्र मोदी और जयापुर: एक अटूट रिश्ता
संकट के समय में बना रिश्ता अटूट होता है और यही बात नरेंद्र मोदी और जयापुर पर लागू होती है। वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद नरेंद्र मोदी को गांव में लगी आग के बारे में पता चला और उन्होंने तत्काल अधिकारियों के साथ बात कर उन्हें राहत कार्य में जुटने के लिए कहा।
सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए जयापुर
सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए जयापुर को चुनने के बाद नरेंद्र मोदी का मानना था कि गांव के समग्र विकास के लिए लोगों और उनके प्रतिनिधि को मिलकर काम करना होगा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसद गांव को गोद नहीं ले रहे बल्कि इस योजना के जरिए गाँव के लोग सांसदों को अपनी छांव में ले रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक अच्छा जन प्रतिनिधि को ग्रामीणों के विशाल अनुभवों और समस्याएं सुलझाने की उनकी अंतर्दृष्टि से बहुत कुछ सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना का मतलब गांव में अतिरिक्त धनराशि सुलभ कराना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चिंत करना है कि योजनाएं सही ढंग से लागू की जाएं और समूचा गांव समस्याएं सुलझाने और विकास सुनिश्चित करने में भागीदारी करे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो उन कमियों को दूर करना चाहते हैं, जिनके चलते पिछले 60 वर्षों से गांवों की प्रगति रुकी हुई है।
सामूहिक चेतना की शक्ति का उपयोग
जयापुर में नरेंद्र मोदी ने जनशक्ति और इसके जरिए मिल सकने वाले जबरदस्त परिणामों पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने सामाजिक चेतना पैदा करने और लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति के माध्यम से महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने पर अत्यधिक जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक गांव को अपना जन्मदिन या अपना स्थापना दिवस मनाना चाहिए और सभी को इस उत्सव में भाग लेना चाहिए। यह जातिवाद को समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है।
प्रधानमंत्री ने एक बड़ी जनसभा में लोगों से पूछा कि क्या हम यह तय कर सकते हैं कि हम जयापुर को गंदा नहीं होने देंगे? क्या हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भोजन करने से पहले बच्चें अपने हाथ अवश्या धोएंगे? उन्होंने कहा कि इन बातों के लिए सरकार के हस्तक्षेप की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सकारात्मक सामाजिक ऊर्जा से एक आदर्श गांव बनाने में मदद मिलेगी।
नरेंद्र मोदी ने जयापुर गांव के प्रत्येक परिवार से यह भी कहा कि वे बेटियों के जन्म को एक उत्सव के रूप में मनाएं। साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके पास वाराणसी के लिए कई योजनाएं हैं, जिन्हें वो जनता की ताकत यानी जनशक्ति के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा जयापुर के लोगों से मिलने और उन्हें संबोधित करने के बाद वहां के लोगों ने उनके विचार पर अमल करते हुए बेटी के जन्म को उत्सव के रूप में मनाना शुरू कर दिया और वृक्षारोपण किया। परिवारों ने बताया कि जयापुर में प्रधानमंत्री को सुनने के बाद उन्होंने बेटी के जन्म का उत्सव मनाने के बारे में सोचा।
अपने गांवों को आदर्श बनाना
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर एक गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया गया तो इससे अन्य गांव भी प्रेरित होंगे और अधिकारियों को भी यह पता चलेगा कि कैसे योजनाओं को अच्छी तरह लागू किया जा सकता है। ग्रामीण विकास के अपने विजन पर जोर देते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें बड़े शहरों की आपूर्ति संचालित प्रणाली से हटकर गांवों की जरूरतों के अनुसार मांग संचालित प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आकांक्षाएं शहरी क्षेत्रों के लोगों से कम नहीं हैं और उन्हें पूरा करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने सफाई के महत्व पर भी बल दिया और कहा कि नागरिकों के जीवन में सुधार लाने के लिए इसे एक लंबा सफर तय करना होगा।
“वाराणसी इतिहास से भी पुरातन है, परम्पराओं से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी प्राचीन है और अगर इन सभी को एक साथ रख दिया जाए तो उनसे भी कहीं अधिक पुराना है।” ये वाराणसी के लिए मार्क ट्वेन के शब्द हैं।
वाराणसी भारत की गौरवशाली संस्कृति का उद्गम तथा परंपराओं, इतिहास, संस्कृति और समरसता का संगम स्थल है। यह संकट मोचन मंदिर की मंगल भूमि है। यह धरा दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है, जो यहां शांति और मोक्ष की तलाश में आते हैं। सारनाथ में ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना प्रथम धर्मोपदेश दिया था। वाराणसी पूजनीय संत रविदास की जन्मस्थली है। बनारस में ही महात्मा कबीर का भी जन्म हुआ, परवरिश हुई और यहीं से उन्होंने अपने ज्ञान का उजियारा दुनिया भर में फैलाया। मिर्जा ग़ालिब ने बनारस को ‘काबा-ए-हिन्दुस्तान’ और ‘चिराग-ए-दैर’ यानि दुनिया की रोशनी कहा था। जब पंडित मदन मोहन मालवीय को शिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए स्थान का चयन करना था, उन्होंने बनारस को ही चुना। गंगा-जमुनी तहज़ीब के महान दूत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जिक्र किये बिना वाराणसी का परिचय अधूरा सा लगता है। वाराणसी के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का प्यार अतुलनीय और अविस्मरणीय है। मुझे बेहद खुशी हुई जब अटल जी की सरकार ने वर्ष 2001 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को भारत रत्न से नवाज़ा।
सच में वाराणसी और यहां के लोगों में कुछ तो ख़ास है। इस देवभूमि का हर निवासी अपने अन्दर कहीं न कहीं देवत्व लिए हुए है। वाराणसी हजारों वर्षों से ज्ञान, शिक्षा और संस्कृति का प्रतीक रही है। यह शिव की नगरी है। शिव जो विभिन्न संस्कृतियों के बीच समन्वय सेतु हैं। शिव जो संसार को बुराइयों से बचाने के लिए खुद विष पीकर नीलकंठ कहलाते हैं।
यह माना जाता है कि ये वाराणसी ही है जहां गंगा माँ का सौंदर्य और महत्व उस उच्चतम स्तर को प्राप्त कर लेता है जहाँ गंगा का दर्शन मात्र ही मुक्ति का माध्यम बन जाता है। पर आज यही मोक्षदायिनी गंगा स्वयं अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। हम गंगा नदी में नये प्राण भरने के प्रयास कर रहे हैं और हमने इस पवित्र नदी के पुनरोद्धार के लिए बहुआयामी से तरीके से कार्रवाई शुरू की है।
वाराणसी गंगा-जमुनी संस्कृति का सबसे बड़ा केंद्र भी है। हिंदू धर्म में तो ये सर्वाधिक पवित्र शहर माना ही जाता है, लेकिन ये शहर जैन और बौद्ध धर्म में भी काफी महत्व रखता है। गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन पास ही सारनाथ में दिया था। भारत रत्न बिस्मिल्ला खान की शहनाई की गूंज भी हिंदू- मुस्लिम एकता का ऐलान यहीं पर करती रही है। परिणामतः वाराणसी आज आध्यात्मिक ज्ञान का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है।
भगवान विश्वनाथ के आशीर्वाद के साथ शानदार विरासत से प्रेरणा लेकर हम वाराणसी के वैभवशाली भविष्य के निर्माण के लिए निकल पड़े हैं।
हमारी सोच है कि वाराणसी विश्व विरासत स्थल के तौर पर उभरे जो उपासकों के साथ साथ भारत की संस्कृति को समझने और आत्मसात करने वाले लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करे। इसका अर्थ है कि हमें वाराणसी के लिए अत्याधुनिक पर्यटन सुविधाओं का निर्माण करना होगा। मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक बार अगर हम पर्यटन को आवश्यक प्रोत्साहन देने में सक्षम हो जाते हैं, तो इससे न केवल अधिक से अधिक पर्यटक यहाँ आयेंगे बल्कि गरीब से गरीब व्यक्ति अपनी आजीविका में इज़ाफ़ा कर सकेगा। ज्यादा सैलानी आएंगे तो यह उन लोगों के लिए लाभप्रद होगा जो मंदिरों से जुड़े हैं, घाटों पर रह रहे हैं और जो गंगा के घाटों से सवारियों का परिवहन करते हैं। समूचा शहर और उससे जुड़े क्षेत्र की काया ही पलट जायेगी।
मैं चाहता हूं कि वाराणसी भारत की बौद्धिक राजधानी बने।
नई दिल्ली देश की राजनीतिक राजधानी है। मुंबई को वित्तीय राजधानी कहा जाता है। इसी कड़ी में मैं चाहता हूं कि वाराणसी भारत की बौद्धिक राजधानी बने। हम काशी को ऐसे शहर के रूप में विकसित करना चाहेंगे जो भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक गतिविधियों का केंद्र हो और जहां ज्ञान का निरंतर प्रवाह हो।
यहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ जैसे विश्व-स्तरीय शिक्षा संस्थान हैं जिनके संवर्धन और सतत विकास की जरूरत है क्योंकि ये संस्थान न केवल बनारस की पहचान हैं बल्कि भोजपुरी क्षेत्रों सहित पूरे पूर्वांचल में ज्ञान की अलख जलाए रखने के लिए भी ये अपरिहार्य हैं।
वाराणसी अपने हस्त-शिल्प और कारीगरी के लिए विश्व-विख्यात है।
बनारस पर्यटन का बहुत बड़ा केंद्र है और साथ ही अपने हस्त-शिल्प और कारीगरी के लिए विश्व-विख्यात है। आज आवश्यकता है कि हम वाराणसी की समृद्ध विरासत का पुनरुद्धार करें। यहां के कुटीर उद्योगों के साथ ही हस्तशिल्प और हथकरघा व्यवसाय को पुनर्जीवित करें। यहीं पर रोज़गार का सृजन करें। ऐसा करके हम हजारों लोगों को न केवल उनके घर के नज़दीक ही रोजगार दे सकेंगे बल्कि वाराणसी को उसका पुराना गौरव भी लौटा सकेंगे।वैसे भी वाराणसी ही ऐसी जगह है जहां गंगा उत्तर वाहिनी हैं। शक्तिशाली गंगा की धारा भी यहाँ आकर अपनी दिशा बदल कर मुड़ जाती है। इसलिए अब वाराणसी से ही बड़े परिवर्तन की शुरुआत होगी। देश सुशासन के पथ पर बढ़ रहा है और वाराणसी से निकला यह सन्देश पूरे देश में अलख जगाएगा।
प्रधानमंत्री की यात्राएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही 2014 में दो बार वाराणसी आ चुके हैं और भविष्य में अपनी यात्राओं के लिए उत्सुक हैं। आप सभी से मिलने और आपका फीडबैक जानने के लिए अपनी यात्राओं का उपयोग करते हुए वो पहले ही यहां रहने वाले सभी लोगों के लिए कुछ प्रमुख पहलों की शुरुआत कर चुके हैं। नीचे दिए गए लेखों को पढ़कर आप पिछली यात्राओं के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं और जान सकते हैं कि भविष्य में क्या होने वाला है।
मदन मोहन मालवीय की स्तुति
जब भी मानवता ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है, तब भारत ने विश्व गुरु की भूमिका निभाई है और इसलिए 21वीं सदी भारत के लिए अत्यधिक जिम्मेदारी का समय है क्योंकि विश्व एक बार फिर ज्ञान युग में प्रवेश कर रहा है।
नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं प्रशिक्षण मिशन की शुरुआत की।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी की धरती ने हमें शिक्षा की संस्कृति दी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ ही समग्र मानवतावादी दृष्टिकोण विकसित करने के लिए है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर में और समाज के सभी वर्गों में “अच्छी शिक्षा” की बहुत मांग है। यदि भारत के युवाओं को अच्छी तरह प्रशिक्षित किया जाए, तो वो दुनिया भर में शिक्षकों की इस मांग को पूरा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा,“यदि एक शिक्षक बाहर जाता है तो उसे फायदा मिलता है और वो पूरी एक पीढ़ी की सोच को प्रभावित करता है।” साथ ही उन्होंने कहा कि मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं प्रशिक्षण मिशन इस दिशा में एक कदम है।
नरेंद्र मोदी ने एक इंटर-यूनीवर्सिटी सेंटर की आधारशिला रखी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कैंपस कनेक्ट वाई-फाई को लांच किया। प्रधानमंत्री ने युक्ति पहल के तहत छह शिल्पकारों को पुरस्कार दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस पहल के माध्यम से उपयुक्त तकनीक के उपयोग के जरिए हमारे शिल्पकारों के कौशल को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने युक्ति पहल के तहत छह शिल्पकारों को पुरस्कार दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस पहल के माध्यम से उपयुक्त तकनीक के उपयोग के जरिए हमारे शिल्पकारों के कौशल को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
वाराणसी महोत्सव
नरेंद्र मोदी ने वाराणसी महोत्सव की शुरुआत की और कहा कि ऐसे आयोजनों से पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के स्कूलों और शिक्षा संस्थानों से आह्वान किया कि वो वाराणसी की संमृद्ध संस्कृति के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञता अर्जित करें। इस तरह वो वाराणसी आने वाले पर्यटकों का ध्यान खींचने में अपनी तरफ से योगदान कर सकेंगे।
स्वच्छ भारत के लिए स्वच्छ वाराणसी
“2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में राजपथ से स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत के अवसर भारत के नागरिकों का आह्वान करते हुए ये शब्द कहे। एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की दो अक्टूबर को देश के कोने-कोने में शुरुआत हुई। इस अभियान का उद्देश्य दो अक्टूबर 2019 तक एक ‘स्वच्छ भारत’ के स्वप्न को साकार करना है।
वाराणसी एक ऐसा शहर है जिसे उसके ऐतिहासिक घाटों और धार्मिक पूजा स्थलों के लिए जाना जाता है। लेकिन साफ-सफाई का अभाव अक्सर इन स्थानों के रूप और सौंदर्य को बिगाड़ देता है। नरेंद्र मोदी ने नवंबर में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की यात्रा के दौरान स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने वाराणसी में गंगा नदी के किनारे अस्सी घाट पर गंदगी को दूर करने के लिए श्रमदान में हिस्सा लेकर इस अभियान की शुरुआत की।
उन्होंने इस अभियान में शामिल होने और एक स्वच्छ भारत बनाने में योगदान देने के लिए नौ जानेमाने लोगों को नामित भी किया। विकास परियोजनाओं के उद्घाटन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री अगली बार सुशासन दिवस के अवसर पर वाराणसी आए। उन्होंने एक बार फिर झाडू थामी और अस्सी घाट के नजदीक जगन्नाथ मंदिर पर सफाई अभियान में हिस्सा लिया। उनकी पिछली यात्रा के बाद से आम लोगों और संगठनों ने जिस तरह स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाया, उस पर उन्होंने खुशी जताई। इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने नौ सुविख्यात लोगों को नामित भी किया।
स्वच्छता अभियान में लोगों की भागीदारी का आह्वान करने से ये अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन में तब्दील हो गया। स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से लोगों में जिम्मेदारी की भावना पैदा हुई। प्रधानमंत्री ने अपनी बातों और कार्यों से लोगों को प्रेरित कर स्वच्छ भारत के संदेश को फैलने में मदद की। इसके साथ ही साफ-सफाई के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन स्वास्थ्य समस्याओं का जिक्र किया, जिनका सामना घरों में समुचित शौचालय की कमी के चलते करीब आधे भारतीय परिवारों को करना पड़ता है।
स्वच्छता के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोग साथ आए और इस अभियान में शामिल हुए। खिलाड़ियों से लेकर आध्यात्मिक नेताओं तक, सेना के जवानों से लेकर फिल्मी कलाकारों तक, कारोबारी समुदाय के सदस्यों से लेकर सरकारी अधिकारियों तक, भारत को स्वच्छ बनाने के लिए सभी साथ आ गए। भारत को स्वच्छ बनाने के लिए देश भर में लाखों लोग दिन प्रति दिन सरकारी विभागों, एनजीओ और स्थानीय सामुदायिक केंद्रों के स्वच्छता अभियानों में शामिल हो रहे हैं।
लोगों का जोरदार समर्थन पाकर स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन बन गया है। बड़ी संख्या में नागरिक भी आगे आए हैं और उन्होंने एक साफ और स्वच्छ भारत के लिए प्रतिज्ञा की है। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद सड़क साफ करने के लिए झाडू उठाना, कचड़े को साफ करना, सफाई पर ध्यान देना और एक स्वच्छ वातावरण को बनाए रखना आदत बन गई है। लोग जुड़ने लगे हैं और वो इस संदेश को फैलाने में मदद कर रहे हैं कि ‘स्वच्छता ईश्वर की भक्ति के सबसे समीप है।’
वाराणसी और रेल के साथ अनूठा रिश्ता
कल से मैं यहीं, DLW के परिसर में ठहरा हूँ।
चारों तरफ रेल्वे के माहौल ने मुझे मेरे बचपन से जोड़ दिया।
नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान डीजल लोकोमोटिव वर्क्स के विस्तार समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री वाराणसी की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू) में रुके थे। वाराणसी की रेलवे इकाई में रुकने से नरेंद्र मोदी के मन में एक रोचक संबंध बना, जिसने उन्हें बचपन की याद दिला दी।
अपनी यात्रा पूरी करने पर उन्होंने आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि डीएलडब्ल्यू में रुकने से उनके मन में अपने बचपन की वो यादें ताज़ा हो गईं जब वह रेलगाड़ियों और रेलवे स्टेशनों के साथ करीब से जुड़े थे।प्रधानमंत्री ने बताया कि किस तरह उन्हें यात्रियों और रेलगाड़ियों की याद आई और किस तरह यह उनके लिए एक तरह का भावनात्मक अनुभव था। भविष्य को लेकर नरेंद्र मोदी ने कहा कि बचपन की ये यादें नए संकल्प और नई संभावनाओं को बढ़ावा देंगी।
“बचपन से ही मेरा नाता रेल्वे से रहा,
रेल्वे स्टेशन से रहा, रेल के डिब्बे से रहा।
कल से मैं यहीं DLW के परिसर में ठहरा हूँ। चारों तरफ रेल्वे के माहौल ने मुझे मेरे बचपन से जोड़ दिया। शायद पहली बार
पूरा समय बचपन, वो रेल के डिब्बे, वो यात्री, सबकुछ मेरी आँखों के सामने ज़िंदा हो गया।
वे यादें बहुत ही भावुक थी।
यहां सबका अपनापन बहुत भाया।
सभी कर्मयोगी भाइयों को धन्यवाद।
अब तो मुझे बार बार यहां आना होगा।
फिर बचपन की स्मृतियों के साथ नए संकल्प, संभावनाएं बनेंगी।
माँ गंगा का प्यार और आशीर्वाद हमारे देश को निर्मल बनाये, हमारी सोच को निर्मल बनाये यही प्रार्थना।”
प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान नए हाई हार्सपावर डीजल लोकोमोटिव को झंडी दिखाकर रवाना किया और उसे भारत की स्वदेशी क्षमताओं तथा ‘मेक इन इंडिया’ के उनके विजन का उदाहरण बताया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नारे “जय जवान, जय किसान” को याद करते हुए कहा इस नारे ने खाद्य उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया। उन्होंने यह आशा जताई कि “मेक इन इंडिया” हमें अपनी सभी जरूरतों में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करेगा।
उन्होंने रेलवे के आधुनिकीकरण और इसे सेवा उन्मुख बनाने का वादा किया, ताकि यह देश के विकास का इंजन बन सके। नरेंद्र मोदी ने कहा कि रेलवे के लिए सही एवं सुप्रशिक्षित मानव संसाधन सुनिश्चित करने के लिए चार रेल विश्वविद्यालय स्थापित किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि रेलवे को सिर्फ़ परिवहन के माध्यम के रूप में नहीं देखना चाहिए बल्कि इसे आर्थिक विकास का आधार बनना चाहिए। उन्होंने रेलवे कर्मचारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि भारत में भारतीय रेल सबसे अच्छी सेवा प्रदान करे।
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