Wednesday, February 11, 2015

Make in India with Zero Defect and Zero Effect - PM Modiji's Call in Hindi - "कम, मेक इन इंडिया" - ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट के साथ


15 August 2014 - Independence Day Speech

भाइयो-बहनो, विश्व बदल चुका है।  मेरे प्यारे देशवासियो, विश्व बदल चुका है।  अब भारत अलग-थलग, अकेला एक कोने में बैठकर अपना भविष्य तय नहीं कर सकता।  विश्व की आर्थिक व्यवस्थाएँ बदल चुकी हैं और इसलिए हम लोगों को भी उसी रूप में सोचना होगा।  सरकार ने अभी कई फैसले लिए हैं, बजट में कुछ घोषणाएँ की हैं और मैं विश्व का आह्वान करता हूँ, विश्व में पहुँचे हुए भारतवासियों का भी आह्वान करता हूँ कि आज अगर हमें नौजवानों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देना पड़ेगा।  इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट की जो स्थिति है, उसमें संतुलन पैदा करना हो, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर बल देना होगा।  हमारे नौजवानों की जो विद्या है, सामर्थ्य है, उसको अगर काम में लाना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग की ओर जाना पड़ेगा और इसके लिए हिन्दुस्तान की भी पूरी ताकत लगेगी, लेकिन विश्व की शक्तियों को भी हम निमंत्रण देते हैं।  इसलिए मैं आज लाल किले की प्राचीर से विश्व भर में लोगों से कहना चाहता हूँ, “कम, मेक इन इंडिया,” “आइए, हिन्दुस्तान में निर्माण कीजिए।”  दुनिया के किसी भी देश में जाकर बेचिए, लेकिन निर्माण यहाँ कीजिए, मैन्युफैक्चर यहाँ कीजिए।  हमारे पास स्किल है, टेलेंट है, डिसिप्लिन है, कुछ कर गुज़रने का इरादा है। हम विश्व को एक सानुकूल अवसर देना चाहते हैं कि आइए, "कम, मेक इन इंडिया" और हम विश्व को कहें, इलेक्ट्रिकल से ले करके इलेक्ट्रॉनिक्स तक "कम, मेक इन इंडिया", केमिकल्स से ले करके फार्मास्युटिकल्स तक "कम, मेक इन इंडिया", ऑटोमोबाइल्स से ले करके एग्रो वैल्यू एडीशन तक "कम, मेक इन इंडिया", पेपर हो या प्लास्टिक "कम, मेक इन इंडिया", सैटेलाइट हो या सबमेरीन "कम, मेक इन इंडिया"।  ताकत है हमारे देश में!  आइए, मैं निमंत्रण देता हूं।

भाइयो-बहनो, मैं देश के नौजवानों का भी एक आवाहन करना चाहता हूं, विशेष करके उद्योग क्षेत्र में लगे हुए छोटे-छोटे लोगों का आवाहन करना चाहता हूं।  मैं देश के टेक्निकल एजुकेशन से जुड़े हुए नौजवानों का आवाहन करना चाहता हूं।  जैसे मैं विश्व से कहता हूं "कम, मेक इन इंडिया", मैं देश के नौजवानों को कहता हूं - हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में यह बात पहुंचनी चाहिए, "मेड इन इंडिया"।  यह हमारा सपना होना चाहिए।  क्या मेरे देश के नौजवानों को देश-सेवा करने के लिए सिर्फ भगत सिंह की तरह फांसी पर लटकना ही अनिवार्य है? भाइयो-बहनो, लालबहादुर शास्त्री जी ने "जय जवान, जय किसान" एक साथ मंत्र दिया था।  जवान, जो सीमा पर अपना सिर दे देता है, उसी की बराबरी में "जय जवान" कहा था।  क्यों? क्योंकि अन्न के भंडार भर करके मेरा किसान भारत मां की उतनी ही सेवा करता है, जैसे जवान भारत मां की रक्षा करता है।  यह भी देश सेवा है।  अन्न के भंडार भरना, यह भी किसान की सबसे बड़ी देश सेवा है और तभी तो लालबहादुर शास्त्री ने “जय जवान, जय किसान” कहा था।

भाइयो-बहनो, मैं नौजवानों से कहना चाहता हूं, आपके रहते हुए छोटी-मोटी चीज़ें हमें दुनिया से इम्पोर्ट क्यों करनी पड़ें? क्या मेरे देश के नौजवान यह तय कर सकते हैं, वे ज़रा रिसर्च करें, ढूंढ़ें कि भारत कितने प्रकार की चीज़ों को इम्पोर्ट करता है और वे फैसला करें कि मैं अपने छोटे-छोटे काम के द्वारा, उद्योग के द्वारा, मेरा छोटा ही कारखाना क्यों न हो, लेकिन मेरे देश में इम्पोर्ट होने वाली कम से कम एक चीज़ मैं ऐसी बनाऊंगा कि मेरे देश को कभी इम्पोर्ट न करना पड़े। इतना ही नहीं, मेरा देश एक्सपोर्ट करने की स्थिति में आए। अगर हिन्दुस्तान के लाखों नौजवान एक-एक आइटम ले करके बैठ जाएं, तो भारत दुनिया में एक्सपोर्ट करने वाला देश बन सकता है और इसलिए मेरा आग्रह है, नौजवानों से विशेष करके, छोटे-मोटे उद्योगकारों से - दो बातों में कॉम्प्रोमाइज़ न करें, एक ज़ीरो डिफेक्ट, दूसरा ज़ीरो इफेक्ट। हम वह मैन्युफैक्चरिंग करें, जिसमें ज़ीरो डिफेक्ट हो, ताकि दुनिया के बाज़ार से वह कभी वापस न आए और हम वह मैन्युफैक्चरिंग करें, जिससे ज़ीरो इफेक्ट हो, पर्यावरण पर इसका कोई नेगेटिव इफेक्ट न हो।  ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट के साथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का सपना ले करके अगर हम आगे चलते हैं, तो मुझे विश्वास है, मेरे भाइयो-बहनो, कि जिस काम को ले करके हम चल रहे हैं, उस काम को पूरा करेंगे।

भाइयो-बहनो, पूरे विश्व में हमारे देश के नौजवानों ने भारत की पहचान को बदल दिया है।  विश्व भारत को क्या जानता था? ज्यादा नहीं, अभी 25-30 साल पहले तक दुनिया के कई कोने ऐसे थे जो हिन्दुस्तान के लिए यही सोचते थे कि ये तो "सपेरों का देश" है। ये सांप का खेल करने वाला देश है, काले जादू वाला देश है।  भारत की सच्ची पहचान दुनिया तक पहुंची नहीं थी, लेकिन भाइयो-बहनो, हमारे 20-22-23 साल के नौजवान, जिन्होंने कम्प्यूटर पर अंगुलियां घुमाते-घुमाते दुनिया को चकित कर दिया।  विश्व में भारत की एक नई पहचान बनाने का रास्ता हमारे आई.टी. प्रोफेशन के नौजवानों ने कर दिया। अगर यह ताकत हमारे देश में है, तो क्या देश के लिए हम कुछ सोच सकते हैं? इसलिए हमारा सपना "डिजिटल इंडिया" है। जब मैं "डिजिटल इंडिया" कहता हूं, तब ये बड़े लोगों की बात नहीं है, यह गरीब के लिए है। अगर ब्रॉडबेंड कनेक्टिविटी से हिन्दुस्तान के गांव जुड़ते हैं और गांव के आखिरी छोर के स्कूल में अगर हम लाँग डिस्टेंस एजुकेशन दे सकते हैं, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे उन गांवों के बच्चों को कितनी अच्छी शिक्षा मिलेगी।  जहां डाक्टर नहीं पहुंच पाते, अगर हम टेलिमेडिसिन का नेटवर्क खड़ा करें, तो वहां पर बैठे हुए गरीब व्यक्ति को भी, किस प्रकार की दवाई की दिशा में जाना है, उसका स्पष्ट मार्गदर्शन मिल सकता है। सामान्य मानव की रोजमर्रा की चीज़ें - आपके हाथ में मोबाइल फोन है, हिन्दुस्तान के नागरिकों के पास बहुत बड़ी तादाद में मोबाइल  कनेक्टिविटी है, लेकिन क्या इस मोबाइल गवर्नेंस की तरफ हम जा सकते हैं? अपने मोबाइल से गरीब आदमी बैंक अकाउंट ऑपरेट करे, वह सरकार से अपनी चीज़ें मांग सके, वह अपनी अर्ज़ी पेश करे, अपना सारा कारोबार चलते-चलते मोबाइल गवर्नेंस के द्वारा कर सके और यह अगर करना है, तो हमें 'डिजिटल इंडिया' की ओर जाना है।  और 'डिजिटल इंडिया' की तरफ जाना है, तो इसके साथ हमारा यह भी सपना है, हम आज बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों से इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ इम्पोर्ट करते हैं। आपको हैरानी होगी भाइयो-बहनो,  ये टीवी, ये मोबाइल फोन, ये आईपैड, ये जो इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हम लाते हैं, देश के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को लाना अनिवार्य है, डीज़ल और पेट्रोल लाते हैं, तेल लाते हैं। उसके बाद इम्पोर्ट में  दूसरे नम्बर पर हमारी इलैक्ट्रॉनिक गुड्ज़ हैं। अगर हम 'डिजिटल इंडिया' का सपना ले करके इलेक्ट्रॉनिक गुड्ज़ के मैन्युफैक्चर के लिए चल पड़ें और हम कम से कम स्वनिर्भर बन जाएं, तो  देश की तिजोरी को कितना बड़ा लाभ  हो सकता है और इसलिए हम इस 'डिजिटल इंडिया' को ले करके जब आगे चलना चाहते हैं, तब ई-गवर्नेंस। ई-गवर्नेंस ईजी गवर्नेंस है, इफेक्टिव गवर्नेंस है और इकोनॉमिकल गवर्नेंस है।  ई-गवर्नेंस के माध्यम से गुड गवर्नेंस की ओर जाने का रास्ता है। एक जमाना था, कहा जाता था कि रेलवे देश को जोड़ती है । ऐसा कहा जाता था। मैं कहता हूं कि आज आईटी देश के जन-जन को जोड़ने की ताकत रखती है  और इसलिए हम 'डिजिटल इंडिया' के माध्यम से आईटी के धरातल पर यूनिटी के मंत्र  को साकार करना चाहते हैं।

      भाइयो-बहनो,  अगर हम इन चीजों को ले करके चलते हैं, तो मुझे विश्वास है कि 'डिजिटल इंडिया' विश्व की बराबरी करने की एक ताकत के साथ खड़ा हो जाएगा,  हमारे नौजवानों में वह सामर्थ्य है, यह उनको वह अवसर दे रहा है।

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